।।दूहा।।
सुणजै नितप्रत समरियां, आयल ऐह अरज्ज।
पूरै तूं परमेसरी, घट री मूझ गरज्ज।।१
विसतरियो धर पर विघन, रसा करोना रोग।
हेलो सुण ओ हेतवां, जांमण काट कुजोग।।२
।।छंद-सारसी।।
धिन पिछम राजै भीर धरणी,
हिंगल़ा बड हाथ तूं।
दुख-रोग काटै आय दाता,
बणी राखै बात तूं.
दिल डरपियो सब देश देवी,
छती कर अब छांहड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।१
सज सधू-मामड़ बैन सातां,
अन्नड़़ां अगराजणी।
मही माड कीनी पवित माता,
दोखियां दिल दाझणी।
निज सेवगां उर करण निरभै,
केवियां सिर कावड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।२
डोकरी साहल़ सुणै देवल,
बूट संग ले बैचरा।
धर धाट सूं आ रोग धूंसण,
उरड़ होफर आकरा।
तूं लेस अब मत ढील लाजै,
बगत फोरी बावड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।३
सुरराय सांभल़ सैणला सज,
जुढ्ढिये धर जोगणी।
सुरम्मदे तुंही काट संकट,
धाव छेकी तूं धणी।
चढ चाड चांपल सुणै चंदू,
वाहर कर तूं बिरवड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।४
अणथाग संकट किया आगा,
सेवगां नित सेवियां।
जस नवल अवनी सदा जाहर,
दुनी सिरहर देवियां।
कर जीण करनी पीठ केहर,
लखी ओढण लोवड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।५
महियांण थल़वट थांन मोटो,
तूं दुलाई दिप्पवै।
अब सुणै आरत काट आफत,
उरां आनंद अप्पवै।
महमाय मालण करै मेहर,
चरण पड़ियां चोवड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।६
सचियाय सूंधा मात शीलां,
वल़ै वीरां बंकड़ी।
रवराय साहू हँजू राजल
तणो पख अब तक्कड़ी।
कामेई वानू सरू-मिरमां,
विघन बाल़ै खूबड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।७
हरियां उमेदां तांण होफर,
देवनग्गा डोकरी।
आवजै पीठड़ भीर इम ही,
पखै गोविंद पोकरी।
जोगणी सुंदर आव जोमां,
गँजण विखमी आ घड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।८
किण अगै जा फरियाद आखूं,
अवर देव न ओल़खं।
जांमणी हूं तो हेक जांणूं,
निचिंत भीरू नवलखं।
गीध री आयल पूर गरजी,
बूरजै मुख बड़बड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।९
।।छप्पय।।
हरसिद्धि हर हांण, प्रिथी ओ रोग प्रजाल़ै।
गीगाई नै गेहल, रसा नित बाल़ रुखाल़ै।
हेलो सुण हरियल्ल, सज आजै सभाई।
चतरु चाहण चाचवी, मदत मोगल महमाई।
गिरराय मात गिरधर कहै, रसा मेट चिंत रोग री।
नागवी शरण चरणां नमूं, जपूं सदा हरजोगरी।।
~गिरधरदान रतनू दासोड़ी