गीत – जांगड़ो
सुणजै सुरराय अमीणी साहल़,
दया धार दिल देवी।
आयो कोप आपरां ऊपर,
कोरोना सो केवी।।१
चीन चूंथ इटली पण चूंथी,
अबखी में अमरीका।
आयो कटक हिंद रै ऊपर,
तण दंत कीना तीखा।।२
डरगी रैत अबरकै देवी,
मान मनां महामारी।
दूजी नहीं औखधी दीसै,
थिर छाया सिर थारी।।३
कीधा काज अनेकां आगै,
ऐड़ी सुणता आया।
मेटण विपद हमरकै मावड़,
छतराल़ी कर छाया।।४
हिंदवासी समझै नीं हाणी,
राज कयो ज्यूं रेटे।
मूरखता आंरोड़ै मन री,
माता हमकै मेटै।।५
पूरै दिवस फिरै यूं पागल,
हाथां करवा हाणी।
बुधहीणां नै दीजै बुध पण,
कर किरपा किनियाणी।।६
साफ सफाई रखै सदन में,
धुर पल में कर धोवै।
लॉकडावन रै समझ लाभ नु,
जरा बा’र नीं जोवै।।७
दूरी रखै एक दूजै सूं,
भारत रो हित भाल़ै।
निज रो लाभ त्याग नै निरभै,
विपदा रो मुख बाल़ै।।८
आजै भीर आद जिम आई,
भांजण भीड़ भुजाल़ी।
जाहर गीध जगत री जामण
वाहर करै वडाल़ी।।९
~गिरधरदान रतनू दासोड़ी