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हे डोकरड़ी! माफ करीजै!
हे मायड़भासा!
सुंदर सरूपी
तरूणी बाल़ा
लड़ाझूम गैणां सूं
सजधज
सहनशीलता
भाव गहनता
शील सुशोभित
बडपण धार्यां
गात वडाल़ै
भुजा-आजानु
घण पूतां री
सुण-सुण वीरत
धारी धीरत
मोद धारनै
कीरत संभल़ी
अंतस उमंग नै
भूत भरोसै
बैठ निचिंती
हे बडभागण!
बणी दवागण
आतम रोसै
मनां मसोसै
जोबन बीत
बूढापै ढल़गी
रूप लवणता
आंसू झारै
पूत निजोरा
ऊत निवड़ग्या
बीजाल़ायोड़ा
कठै दापल़्या
करै पांपल़ा
निकल़ बिलां सूं
कदै-कदै ई
संकता-संकता
थारै कारण
करै चूंकारो
जुल़ता-जुल़ता
माठै मन सूं
तन तूटोड़ै
आस विहूणा
अभेसासिया
खाय निसासो
पाछा बैठे
उण पूतां रै
सदा भरोसै
मान बावल़ी
भैंस जिणैला
चानण पाडा
ज्यानै देख-देख नै
चावल़ हुयग्या
केश थांरला
वेश हुयग्यो
झीरो-झीरो
नैणजोत
नग निरखणवाल़ी
मंद पड़ीनै
अणडग डगला
डिगबा लागा
हे डोकरड़ी!
माफ करीजै!
बिनां पोच रा
म्हैं तो सारा
हां पण थारा

~गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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