परख पारखू
बिनां फरक रै
तरकां वाल़ा तीर न्हांख नै
भेल़प वाल़ी
कथा बांचतो
मेल़प वाल़ी
रमत मांडतो
जाहर धरमां
भरम त्याग नै
नुगरै नागां जहर उतारण
मंत्र उचारै
दिन दोपारै
फतवां वाल़ी धजा फाड़ नै
धार कबीरो
सबरो वीरो
ऊजल़ चादर
ओढ गावतो
मिनखपणै री
राग वैरागी
हद अनुरागी
ऐड़ो भागी
कठै विचरतो
आवै निजरा
सांझ सवेरे
कल़प काल़जै
दुखियां वाल़ी
दाझ मिटावण
भाज-भाज नै
ओखद करतो
प्रीत पाऊंडा भरतो लाई!
इसड़ो देख कठै ई कदियक
मिनखाचार मिल़ै तो भाई!
म्हनै संदेशो थूं दीजै!मिनखाचार मिल़ै
तो भाई!
म्हनै संदेशो तूं दीजै!
चाऊं करणा दरस
हरस सूं
बैठ पाखती
आंख मिलायर
हूं बतलाऊं
उतर काल़जै
ऊंडै अरथां
अणघड़िये
सबदां रै ओलै
राग कबीरी
तान फकीरी
ताण तंदूरो
मंदर बाहर
मसजिद गोढै
गुरुद्वारे री लंगर मायां
थारी-म्हारी
इणरी-उणरी
राग मिलायर
एक सुरां में
करतो जागण
मिनखाचार मिल़ै तो भाई!
म्हनै संदेश तूं दीजै!जिणरो हिवड़ो
काची कूंपल़
देख हिंसा नै
करै हिकारत
ईढ अदावत
अनै ईसको
मंगल़ा होल़ी
हमझोल़ी री
मोल़ी सूरत
देख पसीजै
अंतस दाझै
धरम धड़ै सूं
अल़गो रैय’र
करम वाट री
जुगती जाणै
मुगती वाल़ै
सबदजाल़ री
काट जोयनै
धूरतियां रै बिन बुत्तां में
अपणी धुन रो धारी भाई!
मिनखाचार मिल़ै तो भाई!
म्हनै संदेश तूं दीजै!जिकै काल़जै
ऊंडी कोरां
प्रेम नेम रो
बिनां भेद रै
जगती सारी
आ है म्हारी
सुभग संदेशो
बिन अंदेशे
दया दीठ में
मींट लाज री
काज पराये
छीजै काया
परदुख भीजै
भलो जीभ सूं
बिनां लाभ रै
निसदिन करणा
लोकलाज रो
भूषण भारी
धिन-धिन धारी
मिनखाचार मिल़ै तो भाई!
म्हनै संदेशो तूं दीजै!
बिनां फरक रै
तरकां वाल़ा तीर न्हांख नै
भेल़प वाल़ी
कथा बांचतो
मेल़प वाल़ी
रमत मांडतो
जाहर धरमां
भरम त्याग नै
नुगरै नागां जहर उतारण
मंत्र उचारै
दिन दोपारै
फतवां वाल़ी धजा फाड़ नै
धार कबीरो
सबरो वीरो
ऊजल़ चादर
ओढ गावतो
मिनखपणै री
राग वैरागी
हद अनुरागी
ऐड़ो भागी
कठै विचरतो
आवै निजरा
सांझ सवेरे
कल़प काल़जै
दुखियां वाल़ी
दाझ मिटावण
भाज-भाज नै
ओखद करतो
प्रीत पाऊंडा भरतो लाई!
इसड़ो देख कठै ई कदियक
मिनखाचार मिल़ै तो भाई!
म्हनै संदेशो थूं दीजै!मिनखाचार मिल़ै
तो भाई!
म्हनै संदेशो तूं दीजै!
चाऊं करणा दरस
हरस सूं
बैठ पाखती
आंख मिलायर
हूं बतलाऊं
उतर काल़जै
ऊंडै अरथां
अणघड़िये
सबदां रै ओलै
राग कबीरी
तान फकीरी
ताण तंदूरो
मंदर बाहर
मसजिद गोढै
गुरुद्वारे री लंगर मायां
थारी-म्हारी
इणरी-उणरी
राग मिलायर
एक सुरां में
करतो जागण
मिनखाचार मिल़ै तो भाई!
म्हनै संदेश तूं दीजै!जिणरो हिवड़ो
काची कूंपल़
देख हिंसा नै
करै हिकारत
ईढ अदावत
अनै ईसको
मंगल़ा होल़ी
हमझोल़ी री
मोल़ी सूरत
देख पसीजै
अंतस दाझै
धरम धड़ै सूं
अल़गो रैय’र
करम वाट री
जुगती जाणै
मुगती वाल़ै
सबदजाल़ री
काट जोयनै
धूरतियां रै बिन बुत्तां में
अपणी धुन रो धारी भाई!
मिनखाचार मिल़ै तो भाई!
म्हनै संदेश तूं दीजै!जिकै काल़जै
ऊंडी कोरां
प्रेम नेम रो
बिनां भेद रै
जगती सारी
आ है म्हारी
सुभग संदेशो
बिन अंदेशे
दया दीठ में
मींट लाज री
काज पराये
छीजै काया
परदुख भीजै
भलो जीभ सूं
बिनां लाभ रै
निसदिन करणा
लोकलाज रो
भूषण भारी
धिन-धिन धारी
मिनखाचार मिल़ै तो भाई!
म्हनै संदेशो तूं दीजै!
~गिरधरदान रतनू दासोड़ी