Fri. Nov 22nd, 2024
थांरी जीवटता
अर हूंस थांरली
कष्ट सहण री खिमता थांरी
अबखायां सूं हंस-हंस बंतल़
करी हथाई विपदावां सूं
परड़ां वाल़ै भांग फणां नै
बूझां वाल़ो तकियो दे नै
मगरां वाल़ी सैजां ऊपर
पलक बिंसाई
खा फूंकारो
कर हूंकारो
घोर अंधारै
ऊजड़ मारग
अंतस ऊजल़,
टिमटिमतै तारां रै सागै
झूड़ बांठका
धरती चीरी
बिन सीरी रै
खोद पयांल़ां
पाणी काढ्यो
रिंधरोही नै हंसती कीनी
धवल़ धोरां रो मून तोड़ियो
डैर्यां वाल़ा भूत भगाया
अंधारै नै थावस दे नै,
मावस मांयां पूनम कीनी,
भाखरियां री ऊंची टूंकां
ऐडी दे नै गरब चूरियो
नदियां वाल़ा मोड़ वल़ाका,
खोड़ मांयनै बसती करनै
धरणी नै सतरंगी कीनी
डांग माथनै डेरो रखनै,
पगफेरो अणसैंधी जागा
हरख हरख नै
कीनो थां तो,
गाढ बूकियां जोर बतायो
आत्मबल़ रो पाठ पढाय’र
छल़ छिदरां नै
आगा राख्या
दही राबड़ी
पाय पही नै
मन मोटै रो कूरब पायो
मारग माथै चंवरो ठाय’र
मेल खाटली मन पोमायो
मान आयै नै देवां जोड़ै
घर रै माफक
आदर दे नै
वार बजाई
गल्लां राखी
जिणरा साखी
अठिया उठिया
मान मोकल़ा
है मनमठिया
वार-तिंवारां
भरै सदाई
भाई! भाई!
किसड़ा हुयग्या?
मिनख धरा पर!
ज्यांरी गल्लां!
भल्लां-भल्लां
ठरकै साथै
गरब भर्योड़ी
तांत तणक्कै
अजै गवीजै
गल़तोड़ी मांझल़ रातां में
जाजम जमियोडी बातां में।

~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

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