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Month: January 2020

भारत नैं आज संभाळांला

सूरज जद स्याह अंधेरी सूं, रंग-रळियां करणो चावै है। चांदै नैं स्यामल-रजनी रै, आँचळ में आँणद आवै है। इसड़ी अणहोणी वेळा में, होणी रा गेला कद दीखै। कहद्यो अै तारा…

सदा रंग समियांण

गढ सिंवाणा नै समर्पित- इल़ भिड़ करबा ऊजल़ी, चढिया रण चहुंवांण। बिण सातल रो बैठणो, सदा रंग समियांण।।1 खिलजी रो मद खंडियो, सज मँडियो समियांण। कट पड़ियो हुयनै कुटक, चढ…

ठग्गां रो मिटसी ठगवाड़ो

गीत-जांगड़ो सरपंची रो मेल़ो सजियो, भाव देखवै भोपा। धूतां धजा जात री धारी, खैरूं होसी खोपा।।1 दूजां नै दाणो नीं दैणो, एक समरथन आपै। वित लूटण मनसोबा बांधै, जनहित झूठा…

जिंदगी

कर रहा हूँ यत्न कितने सुर सजाने के लिए पीड़ पाले कंठ से मृदु गीत गाने के लिए साँस की वीणा मगर झंकार भरती ही नहीं दर्द दाझे पोरवे स्वीकार…

जद भोर भयंकर भूंडी है

जद भोर भयंकर भूंडी है अर सांझ रो नाम लियां ही डरां। इसड़ै आं सूरज चंदां रो किम छंदां में गुणगान करां।। कळियां पर काळी निजरां है सुमनां री सौरभ…

सरपंची सौरी कोनी है

घर में बड़तां ई घरवाळी, बर-बर आ बात बतावै है। जो दिन भर सागै हांडै है, बै रात्यूँ घात रचावै है। वो बाबै वाळो बालूड़ो, अबकाळै आँटो चालै है। सरपँच…

चारण नी द्रस्टीये द्रोपदी – रचना: जोगीदान चडीया

द्रोपदी एक क्षत्रीयांणी हती, राजपूती धर्म अने युद्ध नी कळा ने जांणवावाळी समर्थ विरांगना हती, आजे जो कोई सामान्य स्त्री ना सीयळ पर कोई दुष्ट नजर करे अने आजनी सामान्य…

जद भोर भयंकर भूंडी है

जद भोर भयंकर भूंडी है अर सांझ रो नाम लियां ही डरां। इसड़ै आं सूरज चंदां रो किम छंदां में गुणगान करां।। कळियां पर काळी निजरां है सुमनां री सौरभ…

गज़ल – डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत

चींटियों के चमचमाते पर निकल आए सुनो। महफ़िलों में मेंढ़कों ने गीत फिर गाए सुनो। अहो रूपम् अहो ध्वनि का, दौर परतख देखिए, पंचस्वर को साधने कटु-काग सज आए सुनो।…

बीसहथ रा सौरठा – रामनाथ जी कविया

उभी कूंत उलाळ, भूखी तूं भैसा भखण। पग सातवै पताळ, ब्रहमंड माथौ बीसहथ।।१ सौ भैसा हुड़ लाख, हेकण छाक अरोगियां। पेट तणा तोई पाख, वाखां लागा बीसहथ।।२ थरहर अंबर थाय,…