Fri. Nov 22nd, 2024

।।गीत जांगड़ो।।

आंधै विश्वास तणो अंधियारो,
भोम पसरियो भाई।
पज कुड़कै में लिखिया पढिया,
गैलां शान गमाई।।1

फरहर धजा बांध फगडाल़ा,
थांन पोल में ठावै।
बण भोपा खेल़ा पण बणनै,
विटल़ा देव बोलावै।।2

पद थप केक भोमिया पित्तर,
निसचै थापै नाडा।
भोल़ा केक जिकण में भुसकै,
खप दैणी इण खाडा।।3

पाप तणा प्रचारक पापी,
कोजा जीव कटावै।
विध विध तणी हाला री बोतल,
अल़ी उचार अणावै।।4

दे उपदेश भागवत देखो,
ग्यांन गीता रो गैरो।
माया मोह त्याग पण ममता,
को जग भाई कैरो?।।5

परसादी रुपिया ले पाजी,
बेच ग्यांन नै बातां।
दूजां नै उपदेश दाखवै,
घट राखै निज घातां।।6

पग पग मठ द्वारा पेखो,
अकल उपावै ऊंडी।
जिण भगमै नै जगत वांदियो,
भगमै में की भूंडी।।7

जारी में पकड़ीजै जोवो,
सतगुर केयक सांमा।
निलजा मिल़ै मुल़कता नकटा
रे निसर्योड़ा रांमा।।8

ऊगै सूर कचेड़ी ऊभा,
मांन गुरुवर मोटा।
सुणियां काज चेला सरमावै,
खल़ पोमावै खोटा।।9

कद समझैला आंरा करतब,
बता हिंद रा वासी!
सदियां सूं करर्यां ऐ शोषण,
की काबा की कासी?।।10

धरम तणो नित गोरख धंधो,
भारत फैल्यो भाई!
देख सबां में मची रोल़दट,
साच भूलिया साई।।11

भाईचारो भूल गया सह,
फूट फजीती फैली।
हुयग्यो अहम धरा पर हावी,
मत सगल़ां री मैली।।12

न्यात-न्यात रा नेता न्यारा,
जात-जात कर झंडी।
आप-आप नै मानै ऊजल़,
छाप भाईपै छंडी।।13

मुस्लिम हिंदू देख मुलक में,
दिन-दिन बधर्या दूणा।
मिनख घटै दिन-रात मोकल़ा,
प्रीत तणा मग पूणा।।14

ऊमरदान कही कव अणभै,
धुर जिणनै चित धारो।
गैला गीध मांननै गढवी,
सुदियां जलम सुधारो।।15

~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *