Thu. Nov 21st, 2024

देख जगत री चाल दोबड़ी
सांसां करै सवाल दोबड़ी

राजनीति रै रण-आँगण में,
ढाल बणी करवाल दोबड़ी

रंग बदळतां देख मिनख नैं,
किरड़ा कहै कमाल! दोबड़ी

सरम मरम री छांटां रोकै,
तोतक रा तिरपाल दोबड़ी

कुड़कै में पग पकड़ काढल्यै,
खड़ै ना’र री खाल दोबड़ी

जो जो बेचै नेम धरम नैं,
व्हेज्या मालामाल दोबड़ी

जद थूं ऊपर उठती दीखै,
पटकै झींटा झाल दोबड़ी

मत ना बध बध पगां पड़ै थूं,
चींथै करै बेहाल दोबड़ी

सहण करण सूं सीस चढ़ैला,
दोढो नूंतो घाल दोबड़ी

पड़ी पड़ी मत पसर पांगळी,
उठ ऊंची तत्काल दोबड़ी

देख जगत री चाल दोबड़ी
सांसां करै सवाल दोबड़ी

~डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

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