Sat. Apr 19th, 2025

कवि काग वंदना
रचना: जोगीदान चडीया

कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला काग ने, धऩ्य मां धाना ने धन्य भाया बड भाग्य रे…
कुळ वंत कोडीला….
कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला काग ने…टेक

कलम तिरे विंधाय अमांणाय काळजां.
साद मां जांणे घुघवे सायर सात रे…सावज सादुळा…
कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला काग ने…01

चार चारे परज्युं ना चाहेय चारणो…
मांनतां सगा विर सुं सोनल मात रे…देवरूप दूलारा…
कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला काग ने…02

मोभ हिपो हो के हो मोहन मात्यमा…
वात विनोबा नी विहरे नई विदवान रे….मजादर ना मोभी…
कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला काग ने…03

क्रोड गुना आखी नात्य खातेय जे कीधा
जीव ऋषी भड़ ज्वारीयें जोगीदान रे..धान बाई ना धावण..
कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला काग ने…04

|| कंठ मयूरी काग ||
रचना : जोगीदान चडीया

धन धन माता धानबा,भाया ना बड़ भाग
जगमां पाछो जोगडा, क्यारे जनमे काग.१

मळे न आखा मलकमा, तव कविता नो ताग
जायें वाटु जोगडा, (हवे) क्यारे जनमे काग.२

खाइ खुखाारो खेहता, खतरी हथमा खाग
जोम भरंडो जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.३

देव समो ई दीपतो, पेरी सिर पर पाग
जोगी रुप सो जोगडा, क्यारे जनमे काग.४

काग वांणी ये कोळव्यां, बावन फुलडां बाग
जबर कवि ई जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.५

कलम थकी कंडारियो, राज पुतांणी राग
जगवे ऐवो जोगडा, (हवे) क्यारे जनमे काग.६

छटा अटंक छपाखरे, रुषी समोवड राग
जपट करंदो जोगडा, क्यारे जनमे काग.७

जळक्यो चारण जातमां ,आतम रखी अदाग
जपतो राघव जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.८

छँद दुहा नोखी छटा, रसभर मिठडो राग
जीवने अरघे जोगडा, कंठ मयुरी काग.९

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *