कहो वीर चारणो केवा
रचना: जोगीदान चडीया
ढाळ: सुना समदर नी पाळे
दोहो
कलमु किरपांणुं ग्रही, पकड्यो चारण पंथ
जोधो अणनम जोगडा, कंकणवाळी नो कंथ
गीत
कहो वीर चारणो केवा रे ,जोधा जमरांण ना जेवा…
भुले नइ आ भोमका जेने ई भड़ युगो युग याद रे एवा रे…
लळी लळी वारणां लेवा….टेक
पड्यां होय माथडां भोंये रे, तरवारुं ई झीकता तोंये…
झारा ना ई जुद्ध मां होम्यां हाड कहो ई विर ते केवा रे…
लळी लळी वारणां लेवा….01
केवो ओल्यो खीलजी कामी रे, हमीर नो कोय नई हामी
बारुजी उपड्यो चारण देव रांणा ने राज ई देवा रे
कहो वीर चारणो केवा रे,..02
फरता दुशमन र्या फाटी, मुछ्ये भड़ ताव दे माटी
उभो आंबरडी टींबे ई, काळ विहळ नी वातडी केवा रे…
लळी लळी वारणां लेवा….03
नोता एना राज झोंटांणा रे, नोता कोय वेर वेंटांणा…
अंगरेजो थी आटक्या तोये ई केहरी ने परतापसिं केवा रे…
लळी एनां वारणा लेवा…04
नतो भड़ डाढ समाया रे,जोधा जगदंब ना जाया,
निती ध्रम मारगे जोगी दान होमाया ना जेमने हेवा रे…लळी एना वारणां लेवा…05
(दोहा ना मां मात्रा वधे छे पण उलट थी आव्यो छे एटले फेर बदल नथी करतो..
गीत ना प्रथम अंतरा मां झारा ना युद्ध मां सहिद थयेल चारणो ने श्रद्धा सुमन छे..
बीजा अंतरा मां ज्यारे रांणो हमिर निराश थई मृत्यु ना खोळे पोढवा जाय छे त्यारे वच्चे वरवडी मांये तेमनो कोढ मटाडी बारुजी ने पांचसो घोडे तेमनी सहायता करवा मोकलेल जे समये तेममे पोतानो पडछांयो साथ नोहतो देतो ते समये चारण व्हारे चड्यो,ऐ चारणे जतन करेल वंश वेली मां पछी भारत ने रांणा प्रताप मळ्या
त्रिजा अंतरा मां आंबरडी विहळ राबो अने मित्रो के जेमणे मस्तक न नमाव्या अने कुंडाळे मरण नी प्रतिज्ञा निभावी ई विहळ, धानरव, साजण, नागाजण, रविया, लखमण, तेजरव, खीमरव, आलग, पाल, वेरसल चारणो अने केशवगर ने वंदना
चोथा अंतरा मा जेना कोय राज नोता पडावी लेवाया के नोता बाप दादा ना वेर छतां मां भारती पर गुलामी नी बेडीयुं जोई जे परिवार स्वतंत्रता नी लडत मां सहीदी वोरवा तैयार थयेल ते केसरिसिंहजी अने कुंवर प्रतापसिंहजी ने याद करी वंदन
छेल्ला अंतरा मां ए तमाम चारणो ने वंदन के जे सत्य अने निति धर्म ने मार्गे होमावा तत्पर छे,जे कोय नी डाढ मां नथी समाया अने जे सभान छे के अमे जगदंबा ना दिकरा छीये ए तमाम ने वंदन…)