आई नी अकळांमण
छंद : सारसी
दोढेक लीटर पीये दारु, चिकन मुरगां चावता.
मंडाय पाछा मंच माथे गीत सोनल गावता.
देवीय कोटी वरण देखो जुवो कई दिश जाय छे.
ज्वाळा लगे छे जोगडा मन आतमो अकळाय छे..||01||
सोनल तणां आदेश नी आ देश ने कीम्मत नथी.
एनां जण्यां नेय अहम छोडी हालवा हीम्मत नथी.
कहेवाय चारण एक धारण दरश क्यां देखाय छे.?
ज्वाळा लगेछे जोगडा मन आतमो अकळाय छे..||02||
धन देखतां सौ ध्रोडता भल धरम नातो धुळमां.
सत धरम छंड्या पछी सोनल केम जनमे कुळ मां.?
आभे निरखती आई नुं पण मन घणुं मुंझाय छे.
ज्वाळा लगे छे जोगडा मन आतमो अकळाय छे..||03||
ईरशा करी खुद आपणां जण पद पकड भूं पाड़ता
जनता वचाळे जायके दरीयाव दील जीम द्हाडता.
ई दोगला जण देख सोनल समसमे नीसहाय छे.
ज्वाळा लगे छे जोगडा मन आतमो अकळाय छे..||04||
दीकरी लीये घण दायजे ने तोय दानव दोभता.
सरजुं भुल्यां संतान सारण सिनेमा जई शोभता.
अव तरण कारण आई ने को देह नव देखाय छे.
ज्वाळा लगे छे जोगडा मन आतमो अकळाय छे..||05||
पण जो सेनल ने राजी करवी होय तो …..
उजळो घणों ईतिहास जेनो जुवो कां झांखो पड्यो.
दादो ईशर पण दान जोगी रगत आंसुं कां रड्यो.
चहु दीश चारण एक धारण रंग जो रेहलावशो.
सुरगे गयेली सोनबा ना रदय ने रीज्जावशो..||06||
खपीया घणां खुंखार जोद्धा भौम मां भळीया भड़ो.
ए वातडी वांचो विरो नीज आंन्त से नव आखडो.
पाडाय साड़ा तरण त्रोडी वरण ईक वद्धावशो.
सुरगे गयेली सोनबा ना रदय ने रिज्जावशो..||07||
अढळक जनोये एक थावा बहुं गायुं बापडे.
घर कान जोगीदान तो सनमांन साचुं सांपडे.
अभिमान कुड ईरशा तजी जो एक थई ने आवशो.
सुरगे गयेली सोनबा ना रदयने रिज्जावशो..||08||
मनहर कवित
कहां गये दीन माता जोगणी जलमती वो
माई पास जाई आंसु आंख से ब्रसातो है
केहनी अलग्ग जाकी रेहनी मे भार्यो भेद
वेद चारो वांचे ऐसी वात को व्रसातो है
जाने निज धर्म तोउ कुडे पंथ डारे पांव
नाव दो सवारे पंड्य डोलतो प्रसातो है
कहे जोगीदान मां के आदेश न धारे कान
दुजोधन्न जेसो आज चारण द्रसातो है.
जोगीदान चडीया, मो.नं. 9898360102