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गीत – वेलियो
मोहन बल़ तणी बात आ महियल़,
लखियो नकूं कोई लवलेश।
डिगतो बह्यो डांग कल़ डोकर,
अधपतियां करियो आदेश।।1

बीजो बुद्ध अवतरियो बसुधा,
अहिंसा तणो उपासक आप।
गुणधर पांण विनाशक गोरां,
पराधीनता काटण पाप।।2

मंडियो चादर तणो मोरचो,
पाधर गजब रोपिया पाव।
लांठै मिनख धार लंगोटी,
दियो नाय हीणो इक दाव।।3

मनशुद्ध डांग सुदर्शन माफक,
दाटक साव उगाड़ै डील।
धुर धिन मरद अहिंसा धारी,
हिरदै दी गोरां रै हील।।4

भिल़नै दुरंग फिरंगी भारत,
जड़दी कंस देवकी जेल।
मोहन मरद रूप मोहन रै,
अणडर आयो करण उबेल।।5

तटकै जदै गुलामी ताल़ा,
झड़पड़िया सारा ई जोर।
डिगती उठि भारत डोकरड़ी,
सांप्रत मोहन तणै सजोर।।6

कातण तार केशरिया कर सूं,
अजरो धार अरटियो आप।
हर-जन तणो हरण दुख हेतु,
तण उण मरद मिटायो ताप।।7

सचमन पीड़ सबां री समझण,
नर उण देश लियो पग नाप।
सुभग संदेशो सबां स्नेही,
जपियो वैष्णव जन रो जाप।।8

परम धरम परहित रो पेखो,
भल़ै तजो करणी आ भींट।
मोहन कहियो यूं मिनखां नै,
नर तन मिल्यो अमोलख नींठ।।9

सत रो पाल़क अनै साहसी,
निर्लोभी नर बडो निरभीक।
त्यागी पुरस दीनां रो तारक,
लेस न लिवी कपट री लीक।।10

परहर कूड़ पकड़ सत पासो,
धूतां लार बगाई धूड़।
आत्मबल़ रै पांण अनड़ उण,
जोर फिरंगी दीनो झूड़।।11

सत रै पांण झुकाया शासक,
डग भर अरि डराया डैण।
सत रै तांण सरवजन व्हालै,
सत रै पांण लुभाया सैण।।11

गात ढकण नकोई गाभो,
तिण साम्हीं झुकिया जग ताज।
आत्मविश्वास अनै अनुशासी,
सुखराशी लाइयो स्वराज।।12

कथणी करणी भेद न कोई,
बहणी रहणी इक ही वाट।
साच अहिंसा धार सूरमै,
कष्ट दियो भारत रो काट।।13

महापुरस कल़जुग रो मोटो,
वाह बजाई सतजुग बार।
जोगापणै दिया हद झोखा,
कीधा मरद अनोखा काम।।14

न्याती धरम प्रांत सूं न्यारो,
प्यारो सदा सबां नै पूर।
दिन -दिन सदा दीपतो दीसै,
नर धिन मोहन थारो नूर।।15

मनशुद्ध करम किया नित मोटा,
मनशुद्ध देश महात्मा मांन
गांधी सकल़ देश रो गौरव,
जांणै मांनै सकल़ जहान।।16

विचल़ित नाय हुवो मन विखमी,
नर नित रख्या इरादा नेक।
धिन-धिन महावरत रो धारी,
तण नित गही निभाई टेक।।17

खुद रो कांम कियो कर खुद रै,
सबनै दिवी स्वालंब सीख।
नह असलाक रख्यो अंग नैड़ो,
तिण मोहन राखी निज टेक।।18

दीन-हीन दुरबल़ियां पख में,
सांमरथपणै पाल़ियो सीर।
गोरां गरब गाल़ियो गांधी,
संकट बंकट सदा सधीर।।19

जीयो जितै देशहित जूंझ्यो,
पाछा नाय दिया हद पाव।
मृत्यु वरी देशहित मोहन,
भरण देशहित सबरै भाव।।20

भू इण घणा महात्मा भइया,
बातां ज्यांरी वसु बेजोड़।
मीनमेख इणमें नह मांनूं,
सबसूं है मोहन सिरमोड़।।21

गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

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