Thu. Nov 21st, 2024


हैदराबाद स्टूडियो में “देवी स्तुति” की रिकॉर्डिंग।
कविता: नरपत आशिया वैतालिक
रचना: रामावतार दयामा जी,
गायक: पूरवा गुरु जी
नवरात्रि पर स्तुति रिलीज होगी।

देवी स्तुति

जय जग जननी! आसुर हननी! विश्व विनोदिनी! अंबा!!
जगत पालिनी देवि! दयालिनी!, ललिता! मां! भुजलंबा! !१

विपद विदारिणी! त्रिभुवन तारिणी! नेह निहारिणी! करणी!
पातक हरणी! अशरण शरणी! तारण भव जल तरणी! !२

सिंहारूढ! अगम अतिगूढा! सकल सुमंगल दानी!
वंदन बीसभुजी! वरदायिनि!, भैरवी! भवा! भवानी! !३

खंजन – नैन! सु कज्जल अंजन, भंजनि विपदा भारी!
अलख निरंजनि! कल्मष गंजनि!, रे तरूणी त्रिपुरारी!!४

परम प्रचंडी! दानव दंडिनि!, उर मणि मंडित माला!
पाशांकुश शर चाप गदा जुत!, कर धारी करवाला!!५

धूमावती भैरवी त्रिपुरा, बगला! तारा, काली!
जय जय षोडसी छिन्न मस्तिका, मातंगी मतवाली!!६

कुंडल लोल कपोल कलोलिनि, बोलनि मृदु मुख बानी!
अनुचर नरपत पर अनुग्रह कर, नमूं जोरि जुग पानी!!७

नरपतदान आशिया ‘वैतालिक’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *