चारण समाज मे शक्ति अवतार की श्रंखला में एक नाम है आई चांपलमाँ
आई चांपल का जन्म गुजरात राज्य के मोरबी जिले में टँकारा नाम के ग्राम में हुआ था आपके पिताजी का नाम हरपाल जी कवल व माताजी का नाम धानबाई था।
आप पांव से विहीन थे अतः नाम चापबाई रखा। आप माँ हिंगलाज दर्शन करने जा रहे थे। अंजार गुजरात के पास रात को सिंहो का खूब आंतक था।अतः आपने रात में जंगल मे रहना उचित नही समझा और वे भीमाजी जाडेजा के यहाँ पधारे एवम वहाँ रात्री विश्राम हेतु भीमाजी जाडेजा को फ़रमाया तब भीमाजी ने कहा आई तो सिंह की सवारी करती है उन्हें डर काहे का जाओ जंगल मे ही रहो आई चांपल को तो यही सुनना था। आई ने जंगल मे ही रात्री विश्राम किया। रात को सिंह के हमले में माताजी के बैलगाड़ी के एक बैल को मार दिया चूंकि सुबह हुई आगे प्रस्थान करना था अतः आई माँ स्वयं दुबारा भीमाजी जाडेजा के पास गए और अपनी गाड़ी हेतु एक बैल मांगा इस पर भीमा जाडेजा ने फिर वही अहंकारी भाषा मे कहा कि आई तो बैल की जगह सिंह को जोत देगी पुनः विश्राम स्थल पर जाकर आई चांपल ने बैल की की जगह सिंह को जोत दिया
बैलगाड़ी गांव की तरफ रवाना हुई गांव में घुसते ही हां हां कार मच गया बैलगाड़ी में एक तरफ बैल व दूसरी तरफ सिंह जोता हुआ था
जब भीमा जाडेजा ने यह देखा तो वह आई के चरणों मे गिरा व माफी मांगने लगा आई ने उसे माफ कर दिया व साथ ही हिदायत दी कि वह हमेशा दिन दुःखियों की सहायता करेगा भीमा जाडेजा ने प्रण लिया कि वह भविष्य में कभी अहंकार नही करेगा।
एके हाथे बलदीयो , बीजे हाथे सिंह चोराड़ी चांपल तणी, लोपे कोय न सिंह
आई चांपल माता का एक भव्य मंदिर राजस्थान में भी सिणधरी जिला बाड़मेर में भी है।
माँ लूंग शगत शरणम परिवार से
नरपतसिंह आसिया
ठिकाना वलदरा सिरोही राजस्थान
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