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कविता- हिन्द हमारा विमल हृदय है रचयिता- डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ प्रस्तुति- अक्षिता चारण

हिंदी
-डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ नाथूसर


राष्ट्र-चमन को नित महकाती,
सौरभ-थाती चंदन हिंदी।
हिंद हमारा विमल हृदय है,
है इसका स्पंदन हिंदी।
स्नेह-सलिल की सुरसरि धारा
योग-भक्ति-ज्ञानामृत झारा
अलंकार रस रीति काव्यगुण
सम्पन्न सृजन विलक्षण सारा
मर्यादा जिससे मर्यादित
जन-रंजन रघुनन्दन हिंदी।
हिंद हमारा विमल हृदय है
है इसका स्पंदन हिंदी।
प्रण-पौरुष का पाठ पढ़ाती
प्रीति-रीति बलिदान सिखाती
कदम-कदम कर्त्तव्यबोध का
सत्यनिष्ठ संदेश सुनाती
प्रण हित प्राण वारने वालों
का उन्नत अभिनंदन हिंदी।
हिंद हमारा विमल हृदय है,
है इसका स्पंदन हिंदी।
वल्लभ रामानंद कबीरा
तुलसी सूर जायसी धीरा
केशव ओ रसखान बिहारी
रहिमन वृन्द भक्तिमती मीरा
मंगलमय शिव-सुभग सृजन का,
जन-जन के मन वंदन हिंदी
हिंद हमारा विमल हृदय है,
है इसका स्पंदन हिंदी।
अन्तर्मन से हम अपनाएं
खुद बोलें सबसे बुलवाएं
अन्य जुबानें कितनी सीखें
किंतु इसे हरगिज़ न भुलाएं
उत्कृष्टों का है अभिनन्दन
निकृष्टों का निंदन हिंदी
हिंद हमारा विमल हृदय है
है इसका स्पंदन हिंदी।

(डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’)
हिंदी दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं

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