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वीरवर दानी चारण दूदा आशिया

कविवर दूदाजी आशिया के पिता जी का नाम अमराजी आशिया था
अमराजी आशिया को एक घोड़ी की कीमत में तीन गांव प्राप्त हुए थे जो क्रमशः खनोड़ा, बलाऊ व बड़नामा थे ये तीनो ही गांव तत्कालीन जोधपुर रियासत के अधीन थे उस समय अमराजी आसोप में रहते थे अमराजी कि ठकुराईन रोहड़िया बारहठ शाखा की थी उनका नाम राजबाई था
कोरणा के कुंवर एक बार अमराजी की ढाणी पहुंचे वहाँ अमराजी का छोटा पुत्र लालूदान खेल रहा था तब कुंवर साहब ने पूछा कि ये ढाणी किसकी है । भोजन का समय हो गया था कुंवर को भूख भी जोर से लगी हुई थी
लालूदान ने कहा कि हम चारण है और यह ढाणी हमारी है तब कोरणा ठिकाणे के कुंवर ने कहा आपरे पिताजी रो नाम ? तब लालूदान ने कहा कि अमराजी है इतना सुनते ही अमराजी घर से बाहर आये और कुंवर को जय माताजी री करी व आग्रह पूर्वक रोका और आतिथ्य सत्कार करने लगे। जब कुंवर भोजन पाने हेतु जा रहे थे तभी उन्हें घोड़ी नजर आयी। तब कुंवर ने कहा घोड़ी राखो हो काई उत्तर मिला हाँ है तो खरी
कुंवर ने घोड़ी देखी तो ऐसा लगा कि ऐसी घोड़ी बाप भी अपने बेटे को नही दे सकता है कुंवर को घोड़ी पसन्द आ गयी और अमराजी से बोले कि घोड़ी तो म्हाने देनी पड़सी बदले में आप म्हारी घोड़ी लेलो तब अमराजी ने कहा हुक्म ये घोड़ी तो मेरी गायो की रखवाली करती है इसलिये घोड़ी तो देना सम्भव नही है सा
तब कुंवर ने कहा कि कोई बात नही मुझे मां करणी जी की आण है जब तक मुझे घोड़ी नही दोगे मैं आपके यहाँ भोजन नही करूँगा अमराजी ने कुंवर को बहुत समझाया। परन्तु वह नही माने इसके बाद अमराजी ने अपना आतिथ्य धर्म निभाने हेतु घोड़ी कुंवर को दे दी ।
कोरणा के कुंवर के साथ जो भी सवार थे कुंवर ने उन्हें रोका और कहा कि तुम यही रुको में एक घोड़ी से चक्कर मार कर आता हूँ तब तक तुम यही मेरा इंतजार करो । अमराजी कि जातवन्ति देवांगी घोड़ी बहुत ही सुंदर व पवन का मुकाबला करने वाली थी।
कुंवर घोड़ी पर सवार हो गए घोड़ी हवा से बाते करने लगी। कोरणा की जागीर से लगे बलाऊ बड़नामा व खनोड़ा के आस पास घोड़ी घूमकर अमराजी की ढाणी आ पहुंची और कोरणा के कुंवर जी ने अमराजी को अभिवादन कर घोड़ी के बदले ये तीनो गांव जागीरी में दे दिए अभी भी खनोड़ा के अलावा अमराजी के वंशज वहा निवास करते हैं दूदाजी आशिया को गांव वलदरा जो कि वर्तमान में सिरोही जिले में है जागीरी में मिलने से खनोड़ा से उनके वंशज वलदरा सिरोही जिले में निवासरत है यहां दूदाजी आशिया के वंशजों के करीबन 100 परिवार रहते है
खनोड़ा मुझे जाने का अवसर मिला वहाँ मां करणीजी का मंदिर व कोटड़ी मौजूद है पर वहां कोई वर्तमान में चारण परिवार निवास नही करता है
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शेष अगले अंक में
माँ लूंग शगत शरणम ग्रुप से
नरपतसिंह आशिया
वलदरा जिला सिरोही राजस्थान
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सुधारात्मक व सुझावात्मक पोस्ट निजी आई डी पर सादर आमंत्रित है MOB 8003993029

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