साथ समय के आना होगा
सच को गले लगाना होगा
फिर जो चाहे भले बचाना,
पहले राष्ट्र बचाना होगा।
समय-शंख का स्वर पहचानो!
राष्ट्रधर्म निभाना होगा
तेरी मेरी राग छोड़कर
हिंद-राग को गाना होगा
अरुण-प्रभा ने ली अंगड़ाई,
तमस निशा को जाना होगा
नव-सूरज ये उदय हुआ है,
सबको सीस झुकाना होगा
दिल में क्या है आखिर तेरे,
सही-सही बतलाना होगा
स्वर में प्रीति दिलों में घातें,
कैसे साथ सुहाना होगा
इधर उधर की बहुत हो गई,
अब मुद्दे पर आना होगा
हिन्दोस्तां में गर रहना है,
वन्देमातरम गाना होगा
आज धनञ्जय ने धनु ताना,
अटल अचूक निशाना होगा
बिल में घुस कर जो बैठे हैं,
(उन) सांपों को घबराना होगा
समय-सपेरे की धुन सुनकर
फन लहराते आना होगा
जिस खोली में वो डालेगा,
उसमें समय बिताना होगा
सही समय है अभी सुयोधन,
हाँ में सीस हिलाना होगा
हस्तिनापुर का हित जिसमें है,
वो ही मग अपनाना होगा
फिर गांडीव उठा है अबके
जयद्रथ-वध करवाना होगा
द्रुपद सुताओं के हत्यारों,
का नहीं ठौर ठिकाना होगा
दुशासन का अंत आ गया
मुश्किल जान बचाना होगा
पांचाली के कचाभिषेक हित,
पाक रक्त मंगवाना होगा
नए समय के नवभारत में,
भारत नया रचाना होगा
ये मत समझो योगेश्वर का
पांचजन्य पुराना होगा
अब ना कर्ण मरेगा कोई
शकुनी को निपटाना होगा
वे रागें जो तुम गाते थे
बेहतर उन्हें भुलाना होगा
फोड़ा ये नासूर बना है
अब उपचार कराना होगा
इस सागर में तेज ज्वार है
चप्पू नया चलाना होगा
सरल नहीं साहिल पर टिकना
लहरों से टकराना होगा
राष्ट्र-जाह्नवी की धारा में
रज बनकर बह जाना होगा
मातृभूमि पर आँच अगर हो
हितकर फिर मर जाना होगा
कटे अंग फिर से जो जोड़े,
(वो) कुशल शल्य बुलवाना होगा
जो भारत का हो न सका तो
उसको दूर भगाना होगा
मैं मैं की मंडी से उठकर
हम से हाथ मिलाना होगा
अच्छे को अच्छा कहने में,
काहे को शर्माना होगा
भूल हुई तो माफी माँगो,
फिर न कभी पछताना होगा
मिलकर साथ खड़ें हों सारे,
इक ही स्वर में गाना होगा
भारत माँ के लिए हमारा
नामी वह नजराना होगा
नव-वीणा झंकार उठी है,
सत्वर तेज तराना होगा
सुन ले कवि ’गजराज’ तुझे भी,
अपना फर्ज निभाना होगा
साथ समय के आना होगा
सच को गले लगाना होगा
फिर जो चाहे भले बचाना,
पहले राष्ट्र बचाना होगा।
~डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ नाथूसर