अपभ्रंश साहित्य में वीररस रा व्हाला दाखला
आचार्य हेमचंद्र आपरी व्याकरण पोथी में अपभ्रंश रा मोकळा दूहा दाखलै सरूप दिया है। आं दूहाँ में वीर रस रा व्हाला दाखला पाठक नै बरबस बाँधण री खिमता राखै।आँ दूहाँ…
स्वामी कृष्णानन्द सरस्वती
स्वामी कृष्णानन्द जी सरस्वती का जन्म सन् – 1900 ई. में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बीकानेर रियासत के गाँव दासौड़ी में हुआ। इनके पिता का नाम ठाकुर दौलत दान जी…
कविराज नाथूसिंह महियारिया
ठाकुर केसरी सिंह महियारिया के इकलौते पुत्र कविवर नाथूसिंह महियारिया किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आप उदयपुर (मेवाड़) दरबार में राजकवि थे। बचपन में ये हमेशा अपने साथ एक…
कवित्त – कविया हिंगऴाजदान जी रचित
!! कवित्त !! कविया हिंगऴाजदान जी रचित !! कविया श्री हिंगऴाजदानजी भगवती के अनन्य उपासक थे, माँ उनकी हर पुकार पर आधे हैलै हाजर होती थी, उस समय की परिस्थितियों…
देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो- गिरधरदान रतनू दासोड़ी
गीत -प्रहास साणोर कड़ाका आभ दे बीजल़ी जबर कड़कड़ी, धड़धड़ी कंसरी धरण धूजी। हड़बड़ी दूठ रै वापरी हीयै में पुनी जद गड़गड़ी खबर पूजी।।1 देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो, असुर…
पहले राष्ट्र बचाना होगा – डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ नाथूसर
साथ समय के आना होगा सच को गले लगाना होगा फिर जो चाहे भले बचाना, पहले राष्ट्र बचाना होगा। समय-शंख का स्वर पहचानो! राष्ट्रधर्म निभाना होगा तेरी मेरी राग छोड़कर…
मित्रता – गिरधरदान रतनू दासोड़ी
है खांडै री धार मित्रता। सबसूं उत्तम कार मित्रता!! रथ हांकै नै पग धो देवै। सँभल़ै डग -डग लार मित्रता!! डिगतै नैं कांधो दे ढाबै। निज भुज लेवै भार मित्रता!!…
घनघोर घटा, चंहु ओर चढी – कवि मोहनसिंह रतनू
।।छंद – त्रोटक।। घनघोर घटा, चंहु ओर चढी, चितचोर बहार समीर चले। महि मोर महीन झिंगोर करे, हरठोर वृक्षान की डार हले। जद जोर पपिहे की लोर लगी, मन होय…