आज पहलां री भांति जद कोई जोगो विषय हाथ लागे तो किं नुंए अंदाज रे मांहि आपरे चरणाँ धके निजर करां। आ सोच ने कवि लिखजे अबे याद आएगो…. अर लिख डारयो ।।
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🌈 कवि लिखजे अबे 🌈👈
1. कवि लिखजे अबे, गीत तुं हेत
रा, चारणत्व ठेठ रा, प्रीत रा
पोँनिया भरे पाका ।
गीत इण रीत रा,चारण री जीत
रा सहुजन शोभता साव साचा।।
2 . शब्द लिखजे सरल,विवेक सुं
प्रबल, एक्ता डोर पोए सारा ।
भेद बिन भाव रा,चारण रि चाव
रा,शब्द इँया साबता होय थारा।।
3.. शब्द साचा लिखे, देव सगलाँ
दिखे, दिवले ज्यां प्रकाश डारे।
बणे बोद्ध लायक,भणे नर नार
जो,इसि आशा रखां,बेगे बिचारे।।
4. गूढ रहस्य अब गूंथणो नाहिं,
अर्थ आवे नहीं शब्द पण एक रो।
परीक्षा भलाँ लेव ले पारकी,
क्षुब्ध होवे इँया जीव अनेक रो।।
5. राग अनुराग में लाग राखे नहिं,
शब्द रो भेद शुन्य जाणे।
एक दो प्रतिशत आज चारण इसा,भाव रि कविता बिर्द बखाणे।
6. विद्यार्थी आज रा रुचि नि
राखता,गीत,छंद, स्वैया टार टारे।
जो हुवे पंक्ति सरल,जुगति इण भाँत रि,हेत सु बेलीड़ा हिए धारे।।
7. गुण शक्ति भले, आप भक्ति
तणा,गावजे चारण गीत ऐसा।
पाय वरदान तन तेग़ रो चारण,
कुरितां कापजे,काट हिंसा ।।
8. मिट छल छिद्र, कुसंम्प इण
भाँत सु, आँत सुं त्यागे अवर
निंदा।
कुलक्ष्ण,कुसंग कुसाहसां कौतका,
जड़ामूल भागे पाताल पिंदा ।।
9. शब्दबाण साचा कहिजे सहुने,
लपेटा लाग नि लवलेश लारे।
आज चारण नैया, दिखू हे डूबती,
कविबल बूडती पार तारे ।।
10. ए!जिम्मो हे जात रो,आज
इण भाँत रो,आपरे शीश भार
आखो ।
पक्षपाती बिना संगठन सरीखो,
चारणां सहु , आप राखो ।।
11. नियम धारण करो, राख ने
दृढता, माताजी आपणी वात
मानें।
कुप्त राख आपाँ करां भल
कविता, धरे नि मावडी़ वात
काँने।।
12.समय अर्ध शताब्थ, गुमायो
गफलतां,सफलता मिली नि
कोई साची ।
समेलन मोकला अहो चारण किया,प्रण नि लियां कोई पाकी।।
13.”श्री” बिन शोभता सिरदार नि देख्या, पेख्या राज नि पार जातां।
यज्ञ सफल होवे, याचकी मेट दो,
करो दान ,आपरे दोय हाथां ।।
14. मुखपत्र नि आपणो, माप रो
मोवडी़,विचार समधार विवेक
राखे ।
गुणगान अतीत रा गय ने
सगला,हित वर्तमान रो हेक नि
भाखे ।।
15. चार दिन चाल ने,सिमट ले
शूरमा, चंदा पण भाईड़ा चाट
जावे ।
विवादां चढे नित नुंआ लप
लोभ रि,फजीती चारणां किम्
फावे ।।
16. राजतंत्र माहिं महत्व मिट
गयो,स्तित्व चारणां ऊमणो
लागे ।
एक बीजा तणि फींच इम्
खींचतां,सत्ता पद साहिबां
दूर भागे ।।
17. लग्न सामुहिक पृथा, डार दो
चारणां,अणुतो धन आपणो
बचेला ।
सरल होसि शुभ कामड़ा
आपणा,वातड़ी जोर रि जबर
जचेला ।।
19. भांग, गांजा, अरु नशा दारू
तणा, तज ने नशामुक्त…
चारण बणजे ।
सोवे क्यों फेण में,घोर निंद्रा
चारण, ऊठ ने मैया पूत
उदाहरण बणजे ।।
20. ए!! शब्दड़ा सीख रा,
हिये धर हेत सुं ,खीजतो
नाहिं काढ खाँमी ।
कवि “आशू ” एलाण ओपते,
गीत पूर्ण कियो, गमतगामी।।
कवि….लिखजे…. अबे…गीत
तुं…..हेत….रा 👌🙏✅
आशूदान मेहड़ू जयपुर राज.।
👉 वेणसगाई..कोई..दद्ध अक्षर
होवे या टाइप भूल रे वास्ते हाथ जोड़ क्षमायाचना सारु प्रार्थना ।।👈🙏🙏🙏🔱🕉