Sat. Apr 19th, 2025

कौन किसकी बात को किस अर्थ में ले जाएगा
यह समूचा माजरा तो वक्त ही कह पाएगा।

आसमां में भर उड़ानें आज जो इतरा रहे हैं,
वक्त उनको भी धरातल का पता बतलाएगा।

जिंदगी की चाह वाले मौत से डरते नहीं,
कौन कहता है परिंदा आग से डर जाएगा?

था हमारी हर अदा पे नाज जिसको आज तक,
क्या पता था वो हमारी खामियां गिनवाएगा।

जिंदगी के ‘ज’ तलक से अबतलक अंजान है,
कल हमें वो ही सलीके-जिंदगी समझाएगा।

है उसूलों से हमारी यारियां गहरी ‘गजा’,
बीच में आएगा उससे यार ये टकराएगा।।

~डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

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