Sat. Apr 19th, 2025

इंद्र सु आशी
सरवत तव समरण करू ब्रह्मा विष्णु महेश ।
मन भर बरसे मेहूडा इल पर आव।इन्द्रेश ।

छंद त्रिभंगी
ऐरावत आळा कर किरपाला दीन दयाला दातारा ।
बरसे बरसाला खळके खाला नदियन नाला जलधारा ।
देखूं दरशाळा जळ बळ वाला हर हरशाळा हळधारी ।
सरगो रा राजा इंदर आजा मेह बरसाजा हदभारी जी बरसे बादल बहु भारी।
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पल पल री आशी करो उजाशी सुख छा जासी अणपारा।
धरणीधर आसी कृपा करासी संकट हरसी जग सारा ।
सरवर सब भरसी तरवर पलसी हरियल होसी भू सारी ।
सरगो रा राजा इन्दर आजा मेह बरसाजा हद भारी जी बरसे बादल बहु भारी ।
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करसो दुःख पावे सुगना जोवे राह तकावे करसण री ।
पशुधन तरसावे अब तो आवे भाग बचावे गउवण री।
प्राणी  कहलावे आफत जावे सुख हो जावे सुखधारी।
सुरगो रा राजा इन्दर आजा मेह बरसाजा हदभारी ,,,,,,,,
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धर पर तूँ आसी मे बरसासी पुलकित होसी जग सारा ।
धरणी सज धजसी रूप निखरसी हरियल होसी वन सारा।
करसा जद जासी करसण करसी गुण सब गासी गुण धारी ।
सुरगो रा राजा इन्दर आजा मेह बरसाजा हदभारी,,,,,,,,
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श्रावण रा मासा बहू सुहासा हरियल थासा हरियाला।
पूरी कर आशा कृपा करासा सरवर पासा जळ वाला।
तीजणियों सारा सज सणगारा लूवर लौरा मणधारी।
सरगो रा राजा इन्दर आजा मेह बरसाजा हदभारी,,,,,,,
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आकाश अपारा मेघ मल्हारा घोर घमारा बहू घोरा।
चमके तड़ चूरा  पळकेे पूरा नभ जग नूरा बीजो रा ।
कांठळ हद कूरा बहू विध हूरा बरसे पूरा बलभारी।
सरगो रा राजा इन्दर आजा मेह बरसाजा हदभारी,,,,,,
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आसोजों मासे लाहो करसे लाटों लेसे अणपारा।
दोंणा धन होसे करसा हरषे मोजो करसे मनवारा।
सरवत सुख होसे किरपा करसे तेजी देसे तपधारी।
सरगो रा राजा इन्दर आजा मेह बरसाजा हदभारी ,,,,,,,,,,
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सुणजो सुरगाला हे करुणाला जपूं जपाला नित नामा।
करजो किरपाला बहु भुज आला मुरलीवाला भज श्यामा।
राजन  शरणाला रह रखवाला आ बरसाला अतिभारी।
सरगो रा राजा इन्दर आजा मेह बरसाजा हदभारी जी बरसे बादल बहु भारी ।
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इन्दर धरा पर आवजो पूरी करजो पुकार।
सरवत सुख छा जासी करो आप उपकार
कवि राजन विनती करे इन्दर बरसो अवश।
धरणीधर करसी धरा पर सुख चेन सुजस।

रचना- राजेंद्रदान (कवि-राजन) पुत्रश्री भँवरदानजी कविराज झनकली

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