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कर्मरत होकर के जागे सोया स्वाभिमान।
जागो देवी की संतान……….२

उदित हुई थी शिव-शक्ति की जो परम्परा।
ज्ञान-पूँज से धन्य हुई सदियो वसुन्धरा।।
आओ फिर से सजग करे कौमी वरदान।
जागो देवी की संतान……….. २

रजवाड़ो की अलबेली रीतो मे शान हमारी गूंजती।
सता के गलियारो मे अन्यायी शिराए थी धूंजती।।
आओ फिर से प्रकटाए वही गौरव सम्मान।
जागो देवी की संतान…………. २

कायरो मे प्राण फूंक कर किया शौर्य का संचार।
मर्यादाए रगो मे बसा गूंजित हुई कंठो मे हुंकार ।।
सत्य और ईमान से पुष्पित कलमदान।
जागो देवी की संतान संतान……… २

आज नया युग चुनौती हमे ललकार दे रहा है।
जागो कौम के प्रहरियो समय पुकार कह रहा है।।
बहुत हो चुकी बाते “गोविन्द” अब करे प्रस्थान।
जागो देवी की संतान……….. २

बाधाओ से हार मानकर हम झुके कभी नही।
दुर्बलताओ से डरकर के हम रुके कभी नही।।
अपनी राहो मे फूल खिलेंगे चलो सीना तान।
जागो देवी की संतान………… २

–कुं गोविन्द चारण झणकली बाडमेर राजस्थान

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