बूढी माँ रे काळजियै री’- प्रहलादसिंह झोरड़ा
मन री बातां जाणी के, जाणी तो अणजाणी के बूढी माँ रे काळजियै री पीड़ा कदै पिछाणी के तूं जद भी घर सूं निकळै तो कितरा देव मनावै बा झुळक…
मन री बातां जाणी के, जाणी तो अणजाणी के बूढी माँ रे काळजियै री पीड़ा कदै पिछाणी के तूं जद भी घर सूं निकळै तो कितरा देव मनावै बा झुळक…
।।दूहा।। अखियातां राखण अमर, शाहपुरौ सिरमोर। सुत केहरी परताप सो, हुऔ न हरगिज और।। गावै जस गरवौ जगत, जाण मणी मां जाण। दूध उजाल़्यौ दीकरौ, इधकौ ईश्वर आण।। जीयौ तौ…
पुण्यात्मा प्रतापसिंह बारठ को सश्रद्ध नमन मरदां मरणो हक्क है, मगर पच्चीसी मांय। महलां रोवै गोरड़ी, मरद हथायां मांय।। इस सपूत के समग्र पूर्वजों ने मातृभूमि के हितार्थ व स्वाभिमान…
हल़्दीघाटी अर स्वतंत्रता आंदोलन रै सौदा सूरां नैं समर्पित एक छंद किन्हीं राजस्थानी कवि ने माओं को संबोधित करते हुए कहा है कि अगर उनके लड़के में बारह वर्ष में…
चारण-गढवी समाज ना IAS, IPS अधिकारी अने वर्ग-1 अने 2 ना अधिकारीओ नी माहिती तैयार करवा माटे नानकडो प्रयास करेल छे. IAS अधिकारीश्रीओ -------------------------- (1) श्री ऐस.के.लांगा - कलेकटरश्री, गांधीनगर…
अरि दल़ण अखियात ओ, भेर तपै वँश -भांण। जोध बसायो जगत में, जस जोगो जोधांण।। मोरधव्ज चावो मुदै, महि हद पावण मांण। गढां सिरोमण गाढधर, जग जोवो जोधांण।। वीसहथी नै…
आ बतलाऊँ क्यों गाता हूँ ? नभ में घिरती मेघ-मालिका, पनघट-पथ पर विरह गीत जब गाती कोई कृषक बालिका ! तब मैं भी अपने भावों के पिंजर खोल उड़ाता हूँ…
भव का नव निर्माण करो हे ! यद्यपि बदल चुकी हैं कुछ भौगोलिक सीमा रेखाएँ; पर घिरे हुए हो तुम अब भी इस घिसी व्यवस्था की बोदी लक्ष्मण लकीर से…
आज जीवन गीत बनने जा रहा है ! ज़िंदगी के इस जलधि में ज्वार फिर से आ रहा है ! छा गई थी मौन पतझड़ की उदासी, गान जब से…
राज्य-लिप्सा के नशे में, विहँसता है आज दानव ! दासता के पात में जो, पिस रहा है आज मानव ! आज उसकी आह से धन की हवेली हिल रही है…