कुँवर प्रताप सिंह बारहठ- अरी दळ अंग्रेज रा जुलमां करता जाय (कवि राजन झणकली)
अरी दळ अंग्रेज रा जुलमां करता जाय।
प्रजा रक्षक प्रताप सिंह अड़तो नित नित आय।।,,,,,,1
वीर भूमि वसूंधराअंग्रेज हटाया आप।
केसर सुत केहर समो पूरो वीर प्रताप।।,,,,,2
बोल जयकारा बोलियों नाह बोलियो नाम।
मोभी सही हिन्द मात रे तन री पीड़ तमाम।।,,,,,3
बहादुरी बारठ तणी मही पर अरियों मांन।।
जनम भोम कज जूझियों तन पर बेदन तान।।,,,,4
इला रुखाळण आपरी सीस दियो कटाय।
मही पर तु महकावियो सौरभ है सरसाय।।,,,,,5
देश प्रेम दरशावियो मातृ भोम रग माय।।
अमर हुओ इळ ऊपरा मगर पच्चीसी माय।।,,,,6
पायो वीर परताप सी बारठ करूँ बखाण।
क्रांतिवीर तनों कोड सूं पल पल करों प्रणाम।।,,,,7
–कवि राजन झणकली