गीत बल्लू जी चांपावत रो
गीत प्रहास साणोर
विजड ऊठियो धूण गिरमेर रो बहादुर,
पछै म्हे कदे अवसाण पावां।
अमर ने सुरग दिस मैल ने ऐकलो,
आगरै लडैवा कदै आवां।
अहुडै अमर राजा तणा ऊमरां,
जुडैवा पारकी छठी जागां।
बोलियो बलू पतसाह रे बरोबर,
मारूवै राव रो बैर मांगा।
केसर्या मांह गरकाब बागां करे,
सैहरो बांध हलकार साथै।
अमर रो भतीजो तोल खग आखवै,
बलू ने आगरो हुवो बाथे।
पटा ने नांख भिड साह सु जटापट,
कांम नवकोट सांचो कमायो।
वाद कर साह सू बैर नृप बोढियो,
अमर ने मुहर करि सरग आयो।
संकलन कर्ता- मोहनसिंह रतनू, जोधपुर