।।दूहा।।
अखियातां राखण अमर, शाहपुरौ सिरमोर।
सुत केहरी परताप सो, हुऔ न हरगिज और।।
गावै जस गरवौ जगत, जाण मणी मां जाण।
दूध उजाल़्यौ दीकरौ, इधकौ ईश्वर आण।।
जीयौ तौ हित देश रै, दटियौ खातर देश।
उण प्रवीण प्रताप रौ, पुरुषार्थ है पेश।।
चमक चांदणी चौक में, गरणायौ बम्ब गोल़।
लोरड़ हार्डिंग नै लियौ, डफल़ावण रौ डोल़।।
होमिज्यौ हित हिन्द रै, कुटम्ब केहरी कोड।
अंजस घण इहग करै, हुवै तौ करजौ होड।।
।।गीत – चित इलोल़।।
केहरी सुत परताप किनां, जंग जबरा जा’र।
विख्यात हुयगो वीर वसुधा, शा’पुरौ सिरदार।।
(तो)बलिहार जी बलिहार जावै हिन्द औ बलिहार।।1।।
अखरियौ वौ जुल़स अलबत, रपटतौ कर रोल़।
प्रण लियौ परताप फैंकण, बम्ब बढ़ चढ़ मोल।।
(तो)टंटोल़ जी टंटोल़ ठायी बैंक वौ टंटोल़।।2।।
दै अमीचन्द सीख दाटक, तिकड़मी तकराड़।
मुलक नै आजाद मानण, जुगत री कर जाड।।
(तो)प्रघाड जी प्रघाड खण वौ लै लियौ प्रघाड।।3।।
जोड़ झुल़सौ हुवौ जबरौ, आसवस्त अब आम।
बैठ होर्डिंग बेगमी संग, अव्वल गिण इन्जाम।
व्हेग्यौ लामबंद जी लामबंद स्है जुलस व्हेग्यौ लाम।।4।।
छायगौ हड़कंप चहुं दिस, तख्त में ला तेस।
रक्त रंजीत हुवौ हार्डिंग, गवरमेंट घुटेश।।
अवशेष जी अवशेष छोड़्यौ लेश नी अवशेष।।5।।
पकड़तां ई परा छूटा, शेष नहीं सबूत।
धड़धड़ाधड़ धमकता व्है, मरद हा मजबूत।
(तो)बलबूत जी बलबूत आपो झिल्लियौ बलबूत।।6।।
टिकण आशानाड टेशण, भड़ उतरियौ भोर।
कर भरम वौ नींद काढी, प्रीत गिण पुरजोर।।
छायी लौर जी वा लौर इणविद छायगी वा लौर।।7।।
दगा सूं दाखिल पुलिस व्ही, पकड़ियौ जा पास।
भड़ व्हियौ नीं भ्रमित अंकै, अवर औ अहसास।।
(तो)उकड़ास नीं उकड़ास अब कोइ शेष नीं उकड़ास।।8।।
सोणौ जिकण हो सेज सुमना, शूल माथै सेज।
सह लिया अतिचार सारा, तोई बढियौ तेज।।
(तो)गुम्मेज जी गुम्मेज केहरा आप पर गुम्मेज।।9।।
अंगेजण स्वाधीनता अग, रह्यौ औ परिवार।
गावसी परताप गाथा, नेह सूं नर नार।।
(तो)उपकार जी उपकार करियौ देश पर उपकार।।10।।
–कवि वीरेन्द्र लखावत