पुण्यात्मा प्रतापसिंह बारठ को सश्रद्ध नमन
मरदां मरणो हक्क है, मगर पच्चीसी मांय।
महलां रोवै गोरड़ी, मरद हथायां मांय।।
इस सपूत के समग्र पूर्वजों ने मातृभूमि के हितार्थ व स्वाभिमान की रक्षार्थ सदैव अपने आप को न्यौछावर कर दिया।
बारूजी सौदा की इस उज्जवल ओद में जसाजी व केसोजी सौदा ने हल्दीघाटी के मैंदान में तो नरपालजी सौदा ने जगदीश मंदिर जिसे दाणैराव का मंदिर भी कहा जाता है की, व उदयपुर के गढ की, रक्षार्थ लड़ते हुए वीरगति का वरण किया।
इसके साथ ही कई बलिदानी वीरों की वदान्य वीरता से फहराई गई यश पताका आज भी आकाश में फहराती हुई इस बलिदानी परिवार की देशभक्ति की अनुरक्ति की साक्षी है।
कृष्णसिंह बारहठ, केसरीसिंह बारहठ, किशोरसिंह, जोरावरसिंह के साथ ही प्रतापसिंह बारहठ की गौरवानुभूति दिलाने वाली इस परंपरा को स्मरण कर आज हर भारतीय श्रद्धावनत है-
हे पुण्य प्रताप!
थारै जेड़ा पूत
जिणण सारु जणणी नै
जोवणी पड़ेला वाट
जुगां जुगां तक
हे पुण्य प्रताप !
केहर री थाहर मे ही
रम सकै है थारै जैड़ा
जोगा जसधारी
माणक सी सतवंती माता री
ऊजल़ी कूख सूं ही
प्रगट सकै है
तैं जैड़ा मोती साचोड़ाओद उजाल़ण नै
थारै जिसड़ां माथै ही
कर सकै मोद
रमा गोद भारत मा
गरबीज सकै जात
फगत थारी रात रै कारण हीहे पूज्य प्रताप!
तैं जेड़ा ई कर सकै है ऊजल़
दूध जामण रो
निभा सकै है टेक
बिनां मीन मेख रै
दे सकै है
पग ताती माथै
भारत री छाती सूं
भार सिरकावण नै
बेवै है हरावल़
दोघड़ चिंता सूं
कांधै माथै राखै है खांपण
सिर साटै आजादी लेवण नै
देवण नै पुरखां नै कीरत
धीरत सूं धरती रो
कल़क काटण नै
वरण नै मोत वीरत सूं
थैं जैड़ा ई बैय सकै है
वाट बडकां री
बिनां खटकै रै
हे आजादी रा आंटीला वींद
सहजादी रूपी
वरण नै आजादी
वांदण नै तोरण
खड़ सकै है घुड़ला
पड़जान्यां सूं आगल़
मोत सूं मुल़क
मिलण री राख सकै है हूंस हंसतोड़ो
भारत ऊपर निछरावल़ हो सकै है
थैं जैड़ो ई कर सकै
कोई रावल़ियो जोगी
रमा सकै है धूंणी समसाणां मे
उडा सकै है राख
लाख रै महलां री
हे पणधारी प्रताप !
कुण कर सकै है थारी समवड़।
हमजोल़्यां री मावां ने
तैं जैड़ा नखतेत ही
दे सकै है
हेत हिवल़ास
पूंछ सकै है
उणां रा झरता आंसू
दे सकै है गम्योड़ी मुल़क
भारत मावड़ी नै धीजो
काढ सकै है
घर मे बड़ियोड़ा चोर
भांग सकै है नाक नुगरां रो
हिंद रो माण राखण नै
सगल़ां रा दोष
होश रै साथै
जोश रै पाण
ले सकै है
आपरै माथै
ओढ सकै है
सगल़ां रा डंड अणखाधी रा
हे शंकर रा अनुगामी
जार सकै है गरल़
थारै जैड़ा ई
सरल़ हिरदैवाल़ो ई कोई
विरल़ोवरदाई
हे नर रतन प्रताप
गोरां रो गरब गाल़ण नै
तैं जैड़ा ई सैय सकै है
धमीड़ हिवड़ै मे
तनड़ै पर चबीड़
कर सकै है सहन
खीरां ऊपर कर सकै खेल
हे अजरेल
तूं खा सकै है
किराणो कूट रो
कागां रै हाथां
बिनां चुसकारै करियां
नीं डरियां
तैं जेड़ा ई ही
कंपा सकै है काल़जो
काबरी आंख्यां रो
निकाल़ सकै है सत
पतहीणां रे पगां रो
डिगा सकै है विश्वास
थारै आत्म बल़ रे पाण
हिला सकै है
जम्योड़ी जड़ां
पूगोड़ी पताल़ां मे
भूरां नै दंडण नै
मंडण नै माण भारत मा रो
हे आगीवाण !
तूं नी सरकियो पाछो
नाम सोनै रे आखरां मंडावण सूं
हे इकरंगी!
इण दुरंगी दुनिया रे चाल़ां सूं
कूड़ी अपणायत रे जाल़ां मे फस
पूगो जंगी जेल़ां मे
हे सतवादी!
आजादी नायक
भारत रो भीरु बण
जुप पड़ियो
कांधो दे कल़ियोड़ो गाडो काढण नै
भमियो नी पा’ड़ां मे
भिड़ पड़ियो ग्वाड़ां मे
कूहर रे जायोड़ो
केहर रे ज्यूं ही
केशरिया करनै
निज री सपूती सूं
मन री मजबूती साथै
धर ऊपर
होयग्यो निछरावल़
कुल़ नै ऊजल़ करनै
हे मेवाड़ी मुगट मणी
धीरज नै धारण कर
जारण संकट नै
गोरां री गुरजां सूं नीं गुड़ियो
गाहड़ रो गाडो
दहाड़ियो सावक केहर रो
मुड़ियो नी सत रे मारग सूं
परतंत्र भारत री
पग बेड़्यां नै तेवड़ी
तटकै सूं तोड़ण री
डरियोड़ी भारत डोकरड़ी
मरियोड़ी उठगी भट दैणी
थारै कांधै रे बल़
सबल़ बण तण ऊभी
भूरां री भुरजां भांगण नै
छा़गण नै भुजावां गोरां री
हैंकंपिया धूरत थारै हाथां सूं
थारी सहनशीलता सूं
सूरापण साहस सूं
संकट झालण री खिमता सूं
अड़ियो अड़ीखंब बण
डिगियो नी ताटी ज्यूं
माटी रो फरज चुकावण नै
हिरदै मे फरज धार
कोट खिमता रो बणियो
चोटां पर चोटां झालण नै
हक है मरदां रो मरणो तो
फूटतड़ी मूंछां रै साथै
कथणी ज्यूं करणी कर दीनी
जणणी री सीख पाल़
डरियो नी दोरप सूं
भारत माता रे चरणां
चढ पड़ियो चारण
माण गोरां रो मारण नै
धिन है जामण वा थारी
जणियो तैं जेड़ो
समरथ सधर पूत
जिको उतरियो
खरो एकलो
तीनूं ई बातां ऊपर
सोल़वै सोनै ज्यूं
रग रग मे देश री भक्ति
सगती अरियां नै छेकण री
कर दीनी देह दधीची ज्यूं
अरपण वजर इरादां रे साथै
भारत माता नै
धिन_ धिन है वा धरती
जिण पर मंड्या
पगलिया वै पावन
जिण रजकण नै उठा धरै सीस
कोटिक पातक कटै आप
दरसण सूं मिटै
मनां री निबल़ाई
संचरै सबल़ाई
हल़्दी घाटी
अर
शाहपुरै री माटी सूं
क्यूं कै
मेदपाट रा दोनूं मोभी
बण पड़िया मांझी ।
निज करम अर मांटीपण सूं
पातल रै ज्यूं ही
पातल रै पेटै
उमड़ै हिरदै मे श्रद्धाभाव
झुक पड़ै सीस वां चरणां मे
दोनां रा देखो नाम अमर
निसकल़ंक अमर है जसनामो
इण मे नी कूड़ रति भर है
कै
जिण रावल़ियै जोगी
जगा अलख आजादी री
भमियो हो पा’ड़ां मे
नाक नुगरां रा नाथण नै
तज दीना सुख वाल़ा सुपना
भावी पीढी नै
अंजस आपण नै
उण बता दीनो
कै
हर घट मे
कीकर जगै जोत
प्रगट मे भट भिड़ै
उगाड़ै काल़जिये
बो संदेशो
हल़्दीघाटी रै बांठै बांठै नै
खल़खल़ती नदियां रै कांठै _कांठै नै
खांडां री गूंजती खणकारां नै
अर
मिंदर री बाजती झालर झणकारां नै
पूगौ
अर मेवाड़ी मरदां रो
जीवण _मरण रो मंत्र बणगो
हे पुण्य प्रताप!
केहर री सबल़ साधना सूं
गूंजी ही
अभमानूं ज्यूं
माणक री कूख मे
थारोड़ै कानां
कैईक जुगां पछै।
उणी सबल़ साधना रै पाण
तैं तेवड़ियो घमसाण
तूं बण बण पड़ियो राही
उण राहां रो
दूजां री आहां मेटण नै
समवड़ियां सूं
बचकोक ऊपर
पाप वतन रा धोवण नै
पैरण नै वरमाल़ा
अपछरावां रे हाथां
बातां कायम राखण नै
पुगो
भारत रो गौरव बिन्दू बण ।
तैं जिसड़ा ई कर सकै है
घर बाल़ तीरथ
भारत नै मुगती देवण नै
जुगां जुगां तक
लेवण नै जसनामो ।
हे पुण्य प्रताप !
थारोड़ै नाम सूं बधता
थारै काम नै
म्हारोड़ै देश रा प्रणाम
~गिरधरदान रतनू दासोड़ी