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कुछ दिन पहले परशुराम जयन्ती थी, तो मेंनै भगवान का एक कवित बनाया था तो  मेरै एक ब्राहम्ण मित्र ने छंद बनाने का आग्रह किया ,तब आज यह छंद आपके सादर निजर मधुकर ।
मही पाप भारां मरै ,
छत्री अरै मद छाय ।
जामदगन घरै जबही ,
अवतरै फरशु आय ।
छतरी मद छाका दूठ डराका ,
घाल्या डाका घण हाका ।
तब फरस तपाका क्रूध कपाका ,
धीठ दबाका धूबाका ।
उय भोम ऊचाका विपर वैभाका ,
वेरी वडाका कटवाना ।
छतरी कुल छारण फरसा धारण ,भू अवतारण भगवाना ।
जियै ,भमर उधारण भगवाना ।
जग पर सो जांणी कहू कहांणी ,
जामदगांणी जपवाणी ।
घण नृप घमसांणी सेन सजांणी ,
सेंस बाहूणी समझाणी ।
रिषी घर रहवांणी मन बदलांणी ,
कपिल हरांणी कमखाना ।
छतरी कुल छारण …..
हा सुणत हवाला तब ततकाला ,
बणत बडाला विकराला ।
धर कीध धमाला लाल चखाला ,
परलै काला परझाला ।
जब वो जबराला रज रोषाला ,
मही मछराला मिटवाना ।
छतरी कुल छारण …….
दुनियल नृप डरता ओय अकड़ता   फरसा आगल फड़ फड़ता ।
भड़ देख भचड़ता जोध जकड़ता  क्रोधी अड़ता कड़ कड़ता ।
इकवीस वखड़ता छतरी छड़ता ,
अरी उथपड़ता अनुमाना ।
छतरी कुल छारण …..
गुरू विप्र गुणकारी शिष्य संसकारी भीषम जेवा भयंकारी ।
शिक्षा स्वीकारी विधा सिखारी ,
कर्ण कहारी बलकारी ।
ऐवा अवतारी बड ब्रह्मचारी ,
जय जोधारी जपवाना ।
छतरी कुल छारण …..
त्रेता जुग तावत राम राजावत ,
अहोध्या आवत उपजावत ।
जिग जनक जचावत धनुष धरावत,चाप चढावत चटकावत ।
रिषी जब रोषावत राम रिझावत ,
गावत मधुकर गुण गाना ।
छतरी कुल छारण फरसा धारण ,
भू अवतारण भगवाना ।
जियै भमर उधारण भगवाना ।🙏🏻🙏🏻

By admin

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