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Month: April 2019

गौरवान्वित सेना, रचना–राजेन्द्रदांन (कवि राजन) झणकली

एक एक सूं ही आगला सैनिक हिन्द सूरवीर। आतंकवादी असुर नों चुन चुन मारे चीर।। बुद्धि अपरबल बहादुरी देश प्रेम मन धरे। हद रुखाळण हिन्द री निश दिन मोत लड़े।।…

श्री देवल माँ रो छंद, रचना -राजेन्द्रदांन (कवि राजन) झणकली

श्री देवल माँ रो छंद रचना–राजेन्द्र दांन(कवि राजन)झणकली देवल माँ वरदायनी साचा परचा सगत। सेवगोंय सुख सारणी भांगे पीड़ भगत।। भलियो जी बड भागियो जिण घर जलमी सगत। देवला नाम…

रणजीत सिंह चारण "रणदेव" बनें मुंशी प्रेमचंद सम्मान लेने वाले भारत के सबसे युवा कलमकार

रणजीत सिंह चारण “रणदेव” बनें मुंशी प्रेमचंद सम्मान लेने वाले भारत के सबसे युवा कलमकार   श्री विभगुंज वेलफेयर सोसायटी द्वारा मासिक पत्रिका साहित्य समीर के वार्षिकोत्सव में कुछ चयनित…

कच्छना चारणोना गामोनु वर्गीकरण करीए तो मुख्य चार प्रकार पडे छे.

कच्छना चारणोना गामोनु वर्गीकरण करीए तो मुख्य चार प्रकार पडे छे. (१). रावळजाम द्वारा अथवा अन्य शासको द्वारा अथवा अन्य रीते प्राप्त थनारा मूळ चारण गामो.. (२). मूळ चारण गाम हता…

चारणकवि श्री बापलभाइ नी अति सुंदर रचना

चारणकवि श्री बापलभाइ नी अति सुंदर रचना माडी तमे आवो मयुरे चडी माडी तमे आवो मयुरे चडी..(टेक) आवो मयुरे चडी, विनंती करुं हुं घडी रे घडी.. ह्रदय कमळमां आसन आपु,सुरता…

चारणी चरज=आवड ने भेळीयो

चारणी चरज= आवड ने भेळीयो जेने वंदन करे छे सुरज भाण…आवड ने भेळीयो मोगलमाने भेळीयो मारी,आवड माने भेळीयो (२) जेने वंदन करे छे सुज भाण…मोगल ने भेळीयो शेष देव नाना…

जाजी रे खमायुं सोनल

जाजी रे खमायुं सोनल जाजी रे खमायुं सोनल तने जाजी रे खमायुं चारणकुळनी तारणहारी तने जाजी रे खमायुं काळा वादळ वळीयां काळी रातने अंधारीयुं वीजळी रुपे जबुकी सोनल तुं आविने…

वित्त वावरवानुं रण चडवानुं नामरदानुं काम नथी

वित्त वावरवानुं रण चडवानुं नामरदानुं काम नथी प्रोणा पावानुं गुण गावानुं, खवरावीनुं खावानुं घोडे चडवानुं मूछे तानुं, घवरावीने घावानुं कृत शूरविरतानुं प्रभु कृपानुं विर थवानुं महारथी वित्त वावरवानुं रण चडवानुं…

आज तरछोड माँ जोगमाया – कवि दुला भाया “काग”

आज तरछोड माँ जोगमाया – कवि दुला भाया “काग” भान बेभानमां मात ! तुजने रट्या, विसारी बापनुं नाम लीधुं…, चारणो जन्मथी पक्षपाती बनी, शरण जननी तणुं एक लीधुं…, तें लडावी…

एकली ऊभी अयोध्यानी नार=चारणकवि पद्मश्री कागबापु द्वारा रचीत भजन

एकली ऊभी अयोध्यानी नार=चारणकवि पद्मश्री कागबापु द्वारा रचीत भजन एकली ऊभी कोइ अटूली अजोधानी ना…र (२); बाप बेटानां दाण मांगे छे,मसाणुं मोझार एकली ऊभी… राणी हती ते दासी बनेली,दास थयो…