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Month: April 2019

श्री राजबाई माँ चराडवा

श्री राजबाई का जन्म स्थान गुजरात के सौराष्ट्र धांगध्रा तालुका के चराडवा गाँव मै वाचा शाखा के चारण उदयराज के घर हुआ। वाचा शाखा के पुरुष और स्त्रिया वाग्देवी वाणी…

चारणों की उत्पत्ति – ठा. कृष्ण सिंह बारहट

चारणों की उत्पत्ति के सन्दर्भ में ठा. कृष्ण सिंह बारहट ने अपने खोज ग्रन्थ “चारण कुल प्रकाश” में विस्तार से प्रामाणिक सामग्री के साथ लिखा है। उसी से उद्धृत कुछ…

गुरु गोविंद दोनों खडे,कीसको लागुं पाय बलीहारी गुरुदेव की,(मोहे) गोविंद दियो बताइ

गुरु गोविंद दोनों खडे, कीसको लागुं पाय बलीहारी गुरुदेव की, (मोहे) गोविंद दियो बताइ अमर लोकसाहित्यकार इशरदान गढवी नी रेकोडींग मांथी सांभळेली गुरु-शिष्य विसेनी वात राजस्थानमां “डुंगर भरवाड” नामे भगवान…

जिसका कण-कण एक कहानी – कवी हैपी कोटडा

जिसका कण-कण एक कहानी | आओ पूजे शीश झुकाएं, मिल हम,माटी राजस्थानी || सुबह सूर्य सिंदूर लुटाए, संध्या का भी रूप सवारे | इस धरती पर हम जन्मे हैं, पूर्व…

श्री आवड़ माँ रो छंद- रचना- राजेन्द्रदान विठू (कवि राजन) झणकली

श्री आवड़ माँ रो छंद सुख सागर देवण सगत तिमर टाळण तण वार। आवड़ नाम उचरन्तो आंणद आय अपार।। धन माड़ धरा धरणी आइ मात आवड़ा। जनम जग जात जरणी…

श्री हनुमान जी रो छंद- राजेन्द्रदान (कवि राजन)

परम् भगत पराक्रमी हड़मत वड हाथाळ। राम नाम रटतो सदा कपी बड़ो किरपाळ।। कोप लंकापती कियो सीय लेगयो साथ। गुण राम रा गावतों पतो कियो परभात।। छंद त्रिभंगी कपी किरपाळा…

श्री चैलक राय रो छंद- रचना- राजेन्द्रदांन विठू (कवि राजन) झणकली

श्री चैलक राय रो छंद- रचना–राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन) झणकली चैलक रायां चारणी है तूँ ही हिंगलाज। समरयो लीजो सारणी कवि राजन हर काज।। उठत बेठतो आवड़ा चालतो मग…

श्री सैणी जी रो छंद- रचना- राजेन्द्रदांन विठू (कवि राजन झणकली)

श्री सैणी जी रो छंद रचना- राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन झणकली)   देवी हिंगलाज दाखतों वेदे जा वरदाय आदी सगती आखतों सेणी आ सुताय।।,,,1 चेतर आठम चानणी पावन दिन…

दशावतार- रचना- राजेन्द्रदान (कवि राजन)

कच्छप मच्छय वराह काय वामन नरसिंह वेश। किरशण राम बुद्धम कल्कि परसु राम बण पेश।।,,,,,,,1 ईशर धरया अवतार पृथ्वी मिटावण पाप। आतंक रूपी असुर नों आवों मारण आप।।,,,,,2 जन जन…

श्री शिलां षोडसी- रचना- राजेन्द्रदान (कवि राजन झणकली) बीठू

  छंद चित हिलोळ समत दीजो सगत सीलां दे उकत दातार मदद कीजो मात मीलां आप हो आधार। तो साधार जी साधार सगती आपरो साधार,,,,,,,1 शबद दे तूँ सुरसती वरणोय…