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कच्छप मच्छय वराह काय वामन नरसिंह वेश।
किरशण राम बुद्धम कल्कि परसु राम बण पेश।।,,,,,,,1
ईशर धरया अवतार पृथ्वी मिटावण पाप।
आतंक रूपी असुर नों आवों मारण आप।।,,,,,2
जन जन बिलखे जोर सूं तलफ पुकारण तोय
धर अवतार धरणी पर संकट निवारण सोय।।,,,,,,3
छंद रोमकन्द
भव तारण कारण आप पधारण मारण भू असुराण अती
खळ खारण वारण पाप हरावण सारण तूँ सुरराण सती
दव दारण पारण ले उव तारण आप उवारण आव अही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,,1

इक बार सतेव्रत राजन झीलत आय मछी निज हाथ अखी
जद छोड़त आप मछी जळ भीतर खाय मुझे सुण साथ रखी
अब होय बड़ी मछली सर अंदर साद सुणे निज रूप सही
जग वारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,,2

सुण सात दिनेय प्रले धर होवत आवत नाव विशाल अती
तुम सात ऋषी सह औषध बीजत प्राण रखे तन साथ पती
जब डोलत नाव बंधात वसूकिय धारण रूप मछीय रही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,,3

दुरवास ऋषी जद श्रापत इंदर श्री कज मंथन काज करी
मदरांचल को मथनीय बनाकर नेतर नाग वसूक हरी
तद घूमत ना मथनी जळ भीतर पीठ कुराम दिराय वही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,4

हिरणाकस राकस ले धर आकश जाय छिपा जळ भोमन को
तद नाक ब्रमाय वरा उपजावत काज किया धर खोजन को
निज दांत उठाकर लावत बाहर मारत राकस रोप मही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,5

धरणी असमानव देव न दानव रात दिनां नह मार सके
खग भीतर बाहर नाह पशू धन को हथियारन वार सके
हिरणाकस मारण तो नख धारण आप नरेसिंग रूप अही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,6

प्रहलाद कु पोतर राज बली जद जा सुरलोकन राज करी
सब देव बचायन काज हरी अब आय अदीत गर्भाय खरी
धर वामन रूप धरे धरणी पर तीन पगाय नपाय तही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,7

जुग त्रेत हुआ घण राकसड़ा धर रावण राज अनीत रही
तद राम हरी धर कोख उजाळण कौशल मात तिहार कही
वनवास रहास मिटायज राकस रावण राज हटाय मही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,,8

जुग द्वापर मो कृषणा जन्मयो जद मातुल कंस कु मार दही
अतिचार अन्याय हुता अणमापक दानव देतक पार नही
महभारत पांडव कोय जितावण सारथ आप अर्जून सही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,,9

अगनी सुर भोजन को जद केवत लाय लगाय घणी वन मो
ऋषी आपव ताप करे वन भीतर आश्रम बाळ दिया पल मो
जमदागन को सुत पंचम पाविय आ परसू अवतार अही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,10

बुद्ध गौतम को अवतार कहाविय पाविय बौद्ध मतेय पती
वध ताकत देतन भाजत देवन आय पुछे उपचार अती
बुद्ध झाडून लेत बुहारन आफत देय भगाय असुराण दही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,11

कळजूग कल्कि अवतार कहावत चोसठ रूप कला चमके
अश्व देव दता पर होय सवारत पापन नाश कर पलके
तपधार विष्णु धर रूप कलोजुग आप उद्धार किया दशही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,12

एकादश वारिय आय उबारिय पाप कटाविय आंतक को
अब ईशर आविय ले अवतारिय साद सुणाविय जातक को
अब नाह उपाविय तो बिन थाविय राजन साहिय आप रही
जगवारण कारण ले अवतारण मारण आंतक आप मही जिय मानव तारण आय मही,,,,13
छपय
ईशर धर अवतार आप देखो रमापती
ईशर धर अवतार पाप मेटो प्रजापती
ईशर धर अवतार पहुमी पर मेटण पाप
ईशर धर अवतार आंतक संहारण आप।।
ईशर धर पर अवतार ले जगदीश पधारो जरूर
करबद्ध कवि राजन कहे कारण आंतकवाद करूर।।
(कवि राजन झणकली कृत)
ता- 15 मार्च 2019

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