श्री चैलक राय रो छंद-
रचना–राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन) झणकली
चैलक रायां चारणी है तूँ ही हिंगलाज।
समरयो लीजो सारणी कवि राजन हर काज।।
उठत बेठतो आवड़ा चालतो मग चितार।
टाळण घातन तावड़ा विशहथी को विचार।।
समरयो लीजो सारणी कवि राजन हर काज।।
उठत बेठतो आवड़ा चालतो मग चितार।
टाळण घातन तावड़ा विशहथी को विचार।।
छंद नाराच
समत आठ सोय आठ आप मात आविया
चैत्र सुदात नवम आत थाट बाट थाविया
चैलक चात मामड़ात पात आप पारणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी
जी चढ़ेबाघ चारणी,,1
आवड़ आय आछि बाय छेछि छाय छावणी
रूपल राय लांग लाय गेल होल गावणी
मेरख माय भ्रात भाय सात बाय सारणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी
जी चढे बाघ चारणी,,,,2
तेमड़ राय तणोटाय धणियाय धारणी
भादरियाय देगराय घण्टियाय।वारणी
रवे रवाय नागणाय डुंगराय डारणी
चैलक राय आय स्याय चढ़ बाघ चारणी जी,,,,,,,,3
असुर चाय कोशलाय सुता दोय सोवणी
बचाय जाय मात लाय माड़ देश मोवणी
दियो दिखाय रूप माय नाहरों विराजणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी जी,,,,,,4
सुणे बखान नूर आंन ब्याव बांन बोलियों
पितू हैरान देखवान तुरक तान तोलियो
रचे रुपान सगत शान नागणान नारणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी जी,,,,,5
तुरक ताण सूमराण धरम हांण धाविया
चारण जांण अनेकांण सिंध को सिधाविया।
पीयत पांण हाकड़ाण चळु हैक चारणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी जी,,,,,,6
दियो दर्शाव तणुराव तूँ तणोट ताजणी
कियो भेंटाव चूड़ चाव वीन्झणोट वाजणी
दियो दबाय असुराय घण्टियाँळ घावणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी जी,,,,,7
भादरियाय मात आय देग राय जावणी
पियो पीणाय भ्रात भाय रवि को रुकावणी
औषध जाय लांग लाय भ्रात को जिवावणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी जी,,,,,,8
त्रिशूल धार मुक्ति हार शीश सार धारणी
खूफर खार खड़ग ढार रगत रार राळणी
तेमड़मार हूंण हार सिंधू राग सारणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी जी,,,,,,9
सजेय खास प्रात वास रास रास वारणी
उड़ेय वास तूँ अंकास गम ग्रास गारणी
तारंग तास बैठ जास ऊमा आस धारणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी जी,,,,,,10
आवड़ आप कष्ट काप मात पाप मारणी
राजन काज शीत ताप दुख दाज दारणी
सदा सुखाज रहे राज सुणे साद सारणी
चैलक राय आय स्याय चढे बाघ चारणी
जी चढे बाघ चारणी,,,,11
छपय
चैलक राय चारणी समरयो आवजो सगत।
चैलक राय चारणी भेळी रहजो माँ भगत।
चैलक राय चारणी तूँ तेमड़ा मात तखत
चैलक राय चारणी वरदावे राजन वखत।।
चेलक रायां चारणी आय मात अवलंब
कवि राजन हर कारणी शाय कीजो सुरलम्ब।।
(कवि राजन झणकली कृत)
ता 04 मार्च 2019 सोमवार
महाशिव रात्रि रे दिन माँ को अर्पण।