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श्री आवड़ माँ रो छंद

सुख सागर देवण सगत तिमर टाळण तण वार।
आवड़ नाम उचरन्तो आंणद आय अपार।।
धन माड़ धरा धरणी आइ मात आवड़ा।
जनम जग जात जरणी टाळे घात तावड़ा।।
आठे शतक आठ मो आवड़ आई अम्ब।
मामड़ सुता मात रो जनम होय जगतम्ब।।
आवड़ रूप गुलाब रे आप हुलास लूंग आत
भेळो मेहरख भ्रात रे सातों बहनों साथ।
चैलक जनमी चण्डिका भळ हळ उगो भांण।
आय अवतरी अम्बिका माड़ भोम महराण।।

छंद सारसी
धर माड़ धरणी जनम जरणी आप अवनी आविया
हर झाड़ हरणी व्योम वरणी ताप तवनी ताविया
खर खाड़ खरणी धोम धरणी जाप जवनी जावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी आप चरणी आवड़ा
जी आप धरणी आवड़ा।,,,,,,,1

मामडियाई जनम बाई प्रेम पाई परघळा
साते सवाई रूप लाई सुख छाई सरगळा
मेहरख भाई संग आई हरख लाई मावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी आप चरणी आवड़ा
जी आप धरणी आवड़ा,,,,,,2

सब काज सारण धर्म धारण अरि मारण अवतरी
भय भांज भारण कर्म कारण सुख सारण संवत री
समरयो पधारण पात पाळण हेत राखण आवड़ा
जगमात जरणी राख शरणी आप चरणी आवड़ा
जी आप धरणी आवड़ा,,,,,,,3

ओरण बावन धार बावन धोम बावन धोकला
असुरण बावन मार बावन मढ़ बावन मोकला
जयकार बावन नाम बावन धजा बावन धावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी आप चरणी आवड़ा
जी आप धरणी आवड़ा,,,,,,,,,,4

तेमड़ आळी दैत्य मारी शेल भारी दाबिया
तणोट वाळी घँटियाळी देग आळी बाजिया
भादरियाळी डुंगराळी मनसराळी मावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी ,,,,,,5

जोगण जळेची नागणेची ऊंनड़ेची ऊमियां
चाळकनेची डुंगरेची स्वांगिया जी सुमिया
रव रवेची मानरेची धणियोंणी धावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी,,,,6

ऊपर अकाशे विचर वासे करत रासे खेलियाँ
निजरथ प्रकाशे निरख नाशे चरख चासे चेलियां
होतम हुलासे व्योम वासे अजब आसे आवड़ा
जगमात जरणी राख शरणी,,,,7

सांपे सुंघाई निज भाई विपद आई मोकळी
खोड़ल बाई समंद जाई अमिय लाई ओकळी
लोवड़ लुकाई दिवस माई जाने बचाई जावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी,,,,,8

घम घम घूंघर खणण खम खम छणण छम छम छम है
धम धम धूजत भुवन धम धम रमत रम रम  रम है
बम बम बाजत ढोल बम बम सगत सम सम सावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी,,,,,9

असुरे उदण्डी देत दण्डी चली चंडी चावड़ा
जोगण जंडी अति अफंडी झाल झंडी झावडा
भोंगत भंडी रण चंडी प्राण पंडी पावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी,,,,10

समरयोय सगती देय भगती टाळ विपति तावड़ा
अति देय मति कवत वृति गुण गति गावड़ा
कवि राजन कथि शबद सती परम् मती पावड़ा
जगमात जरणी राख शरणी आप चरणी आवड़ा
जी आप धरणी आवड़ा,,,,11

छप्पय
आवो आवड़ सगत कुम कुम पगला कमल।
आवो आवड़ सगत साजो काज हर सफल।
आवो आवड़ सगत आतम ज्ञान ओजास।
आवो आवड़ सगत परम् रूप कर प्रकाश।
समरुं आवड़ सगत नों शाय करो सुरराय।
कवि राजन विनती करे विघन टाळे वरदाय।
आवड़ अबखी आवजो करो सफल हर काज।
विठू राजन रे विशहथ सुख मय जीवन साज।।

~~कवि राजन झणकली

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