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दिल जी गाल दिल में र‌इ = आइ श्री सोनलमाताजी नी कच्छी वंदना
दिल जी गाल यार दिल में र‌इ रे रामा, दिल जी गाल यार दिल में र‌इ
कोसीसों ता लखों क्यो आव, गाल चपें न चड‌इ
रे रामा दिल जी गाल..

बचपन मुजो खेलमें खोवाणो,जुवानी में आव जल्यो न जलाणों
केर घेरेव्यो हे रे बुढापो, अनजी खबर न प‌इ
रे रामा दिल जी गाल…

जडें आया जमजा तेडा, हनीं हथें से कम थया एडा
जीवन मुजो कुनी आय काठ जी, बैवार चुले न चड‌इ
रे रामा दिल जी गाल…

जडें समरे मन मां सोनल के, तडे मार्यो आंव मनजी तरंग के
यार संभरधो मठडो संसार मुके, मुजी तां टेम पूरी थ‌इ
रे रामा दिल जी गाल…

ओगयो ओलयो आंव न जाणा, नांय कीं मुजा घर ने ठेकाणा
शरणे रखजा “राम” के हे मावडी, हाणे कीं आस नांइ ब‌इ

दिल जी गाल यार दिल में र‌इ रे रामा दिल जी गाल दिल में र‌इ
रचना = चारणभाइ श्री रामभाइ कानाभाइ कानाणी
झरपरा = कच्छ
टाइपिंग = राम बी गढवी
नविनाळ-कच्छ
फोन =7383523606

By admin

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