Sat. Apr 19th, 2025
आज एक सोहणा गीत जिसमें सुकवी ओर कुकवी कि पहचान को दरसाता यह सुकवियां को तो सोहणा लगेगा ।पर कुकवियां के शरीर में डांभ,, वेदना होगी तो देखियै सादर निजर मधुकर
कुबाठी बांण कुकवां री ,
सुगाठी सुकवां जांण ।
सुकवां कुकवां री सही ,
परतक्ष यह पहचांण ।
कूकंठ ताण काग ज्यू बांणी ,
लखि उणरा अहनांण लहे ।
चोरै शबद दुजां चुतराई ,
कुकवां आ ही कुलछ कहै ।
जो पण काव्य का भेद न जाणत ,
बड़ा बणत अफलात बहे ।
बेड़ा फोड़ के सभा बिगाड़ू ,
भोदू भंजकड़ नांख भहे ।
दोखी दुष्ट दबाय दुजां नै ,
अपणायत फिर राख अहे ।
पांच सात संग सुरका दुरका ,
बड मिनखावत ख्वाब बहे ।
सुकवी कहै बात मुख साची ,
काची घड़ै न कोय कहे ।
आंजा लगे साचरा आखर ,
वाद विवाद वो लोग वहे ।
नित नुवी रचना ठाय निरखती ,
सगती उणरी सुणत सहे ।
भोला भाव परमेशर भगती ,
बिठू वो सत माग बहै ।
सुकवी गती देखलो सांपरत ,
लड़त वीर वाकार लहे ।
अवड़े झूंठ क्रोध पण ऊफणै ,
सुघड़ डील वा नाय सहे ।
उक्ती अरमान वधत उर उण में ,
ग्यान अथग गुण वान गहे ।
सोहणो कंठ मधुकर मोहणो ,
कवी जिणनो विधवान कहे ।
सुकवियां लागसी सही ,
गजब सोहणो गीत ।
अजब डांभ दे उकवियां ,
मधुकर कुकवां मीत ।

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