आज एक सोहणा गीत जिसमें सुकवी ओर कुकवी कि पहचान को दरसाता यह सुकवियां को तो सोहणा लगेगा ।पर कुकवियां के शरीर में डांभ,, वेदना होगी तो देखियै सादर निजर मधुकर ।
कुबाठी बांण कुकवां री ,
सुगाठी सुकवां जांण ।
सुकवां कुकवां री सही ,
परतक्ष यह पहचांण ।
सुगाठी सुकवां जांण ।
सुकवां कुकवां री सही ,
परतक्ष यह पहचांण ।
कूकंठ ताण काग ज्यू बांणी ,
लखि उणरा अहनांण लहे ।
चोरै शबद दुजां चुतराई ,
कुकवां आ ही कुलछ कहै ।
लखि उणरा अहनांण लहे ।
चोरै शबद दुजां चुतराई ,
कुकवां आ ही कुलछ कहै ।
जो पण काव्य का भेद न जाणत ,
बड़ा बणत अफलात बहे ।
बेड़ा फोड़ के सभा बिगाड़ू ,
भोदू भंजकड़ नांख भहे ।
बड़ा बणत अफलात बहे ।
बेड़ा फोड़ के सभा बिगाड़ू ,
भोदू भंजकड़ नांख भहे ।
दोखी दुष्ट दबाय दुजां नै ,
अपणायत फिर राख अहे ।
पांच सात संग सुरका दुरका ,
बड मिनखावत ख्वाब बहे ।
अपणायत फिर राख अहे ।
पांच सात संग सुरका दुरका ,
बड मिनखावत ख्वाब बहे ।
सुकवी कहै बात मुख साची ,
काची घड़ै न कोय कहे ।
आंजा लगे साचरा आखर ,
वाद विवाद वो लोग वहे ।
काची घड़ै न कोय कहे ।
आंजा लगे साचरा आखर ,
वाद विवाद वो लोग वहे ।
नित नुवी रचना ठाय निरखती ,
सगती उणरी सुणत सहे ।
भोला भाव परमेशर भगती ,
बिठू वो सत माग बहै ।
सगती उणरी सुणत सहे ।
भोला भाव परमेशर भगती ,
बिठू वो सत माग बहै ।
सुकवी गती देखलो सांपरत ,
लड़त वीर वाकार लहे ।
अवड़े झूंठ क्रोध पण ऊफणै ,
सुघड़ डील वा नाय सहे ।
लड़त वीर वाकार लहे ।
अवड़े झूंठ क्रोध पण ऊफणै ,
सुघड़ डील वा नाय सहे ।
उक्ती अरमान वधत उर उण में ,
ग्यान अथग गुण वान गहे ।
सोहणो कंठ मधुकर मोहणो ,
कवी जिणनो विधवान कहे ।
ग्यान अथग गुण वान गहे ।
सोहणो कंठ मधुकर मोहणो ,
कवी जिणनो विधवान कहे ।
सुकवियां लागसी सही ,
गजब सोहणो गीत ।
अजब डांभ दे उकवियां ,
मधुकर कुकवां मीत ।
गजब सोहणो गीत ।
अजब डांभ दे उकवियां ,
मधुकर कुकवां मीत ।