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ओह रिशतै अजांण , पती पतनी प्रखांण ,लेखो कुण ले लिखांण ,प्रीत के प्रमांण है ।
ब्याव को बणै विधाण ,जीवन विताण जांण ,आपरचित मिले आंण ,जाण ना पेचांण है ।
जिद झघड़ा जपांण ,अहम बोली ऊफांण ,खटास मिठास खांण ,कर्म कुल भांण है ।
पाय खुशी जीव प्राण ,नव गृह को निर्मांण ,मधूकर मोज मांण ,धणी धणियांण है ।
केसे यै अनोखै कार ,रिशते कर्म सार ,एक दुजा यार ,अदभूत अंगीकार है ।
विवाह रचत वार ,आपो आप अधिकार ,धीज फूलै वंश धार ,परगल वो प्यार है ।
तारीफ तिरिया तरार ,पुरा तज परिवार ,नया घर निरधार ,देखो धन्य दार है ।
मन साचे जिका धन्य पुरूष भी मधूकर ,बनिता अंजांन हु को सांपै घर बार है ।🙏🏻🙏🏻😀😀

By admin

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