चारण कवि मेकरणभाइ रचीत रा'मांडळीक नी केवी हालत बनी एवु वर्णन करती रचना
चारण कवि मेकरणभाइ रचीत रा’मांडळीक नी केवी हालत बनी एवु वर्णन करती रचना किस्मतना कायदा फर्या नथीने फरसे नइ आइ नागबाइ नो सरापेल,मांडळीक रेढो भमे लाखोनो पाळनारो, मांडळीक रेढो भमे…
चारण कवि मेकरणभाइ रचीत रा’मांडळीक नी केवी हालत बनी एवु वर्णन करती रचना किस्मतना कायदा फर्या नथीने फरसे नइ आइ नागबाइ नो सरापेल,मांडळीक रेढो भमे लाखोनो पाळनारो, मांडळीक रेढो भमे…
कच्छ ना कवी दुलेराय काराणी नी जननी ना हाथ ना बनावेल रोटला नुं वर्णन… मणीयां मुके मठी लगेती, माडी ! तोजी मानी… माडी ! तोजी मानी जे में, जोबन जोर…
चारणकवि कीरीट भाइ रचीत चरज चारणोमां थइ चंडीयु जेवी मढडे सोनल मात नोतरी चारण नात आखी मांए विश्वे राखी वात मायाळु मात छो मीठी,अमी भरी आंखडी दीठी..(२) मोणीये नागल आइ…
चारणकवि नारणदान सुरु नी कलमे लखायेल विर वछराज नो भाव बेनीबा ने काेलताे आपी रे धजायु धरमनी स्थापी रे पडाणाना पंथडा कापी, मारते घाेडे बेन बाेलावे रे पडाणाथी वाछराे आवे…
भारतवर्ष मां एक समय एवो हतो, के उजळा ना नेस मां बापल देथाने नेहडे बुट, बलाड अने बेचरा रमती हसे…..चराडवा ना नेसमां आइ राजल बिराजती हसे…… सरधार मां जेणे बाकरसा…
कागबापुनी रचना=आज तरछोड मा जोगमाया भान बेभानमां मात ! तुजने रट्या, विसारी बापनुं नाम लीधुं…, चारणो जन्मथी पक्षपाती बनी, शरण जननी तणुं एक लीधुं…, तें लडावी घणा लाड मोटा कर्या,प्रथम…
छंद त्रीभंगी– परतापे पुरी, निरमळ नूरी, सतव्रत सूरी, सरसाई (रचना – जीवणदान गढवी) परतापे पुरी, निरमळ नूरी, सतव्रत सूरी, सरसाई। दारिद कर दूरी, क्रोध करुरी, बळ भरपूरी, तुं बाई। भंजण…
मन मायाळु जेना दिल दयाळु एवा माताजीना मढडे जावुं मन मायाळु जेना दिल दयाळु एवा माताजीना मढडे जावुं… रे बेलीडा मारे सोनलना शरणे जावुं… सोरठ धरामां संत बिराजे जननीना दर्शने…
एकली ऊभी अयोध्यानी नार=चारणकवि पद्मश्री कागबापु द्वारा रचीत भजन एकली ऊभी कोइ अटूली अजोधानी ना…र (२); बाप बेटानां दाण मांगे छे,मसाणुं मोझार एकली ऊभी… राणी हती ते दासी बनेली,दास थयो…
मछराळी मोगल=कागबापु द्वारा रचीत मां मोगल नी वंदना मछराळी मोगल! गांडी थइ, डणकी रे डुंगर गाळीये; नव रे नगर ने नव नेस रे. (टेक) माडी, तें काळा रे सरपुंने कीधो…