चारण कवि मेकरणभाइ रचीत रा’मांडळीक नी केवी हालत बनी एवु वर्णन करती रचना
किस्मतना कायदा फर्या नथीने फरसे नइ
आइ नागबाइ नो सरापेल,मांडळीक रेढो भमे
लाखोनो पाळनारो, मांडळीक रेढो भमे
नागबाइना नेहमा प्रगट्या अवळा भाणजो
महेलोनी मोज माणनारो,मांडळीक रेढो भमे
…किस्मतना कायदा…
लाखो खमकारामां रेतो जुनाणानो जोगी जो
लाखो धिक्कारना धक्के,मांडळीक रेढो भमे
…किस्मतना कायदा…
मेळीने माळीया बागुने बंगला मेळी जो
गरवा गीरनार ने गामे,माडंळीक रेढो भमे
…किस्मतना कायदा…
कोरा कागळमा लखीया सांकडा काम जो
गंगाजळे नानारो, मांडळीक रेढो भमे
…किस्मतना कायदा…
जालरने शंखना वागता नाद ज्या घेरा जो
धरी काँध कुरान किताबो,मांडळीक रेढो भमे
…किस्मतना कायदा…
माखण उघरावतो थीयो सोरठने सरदार जो
पेरी गमीयलशा पाटे,मांडळीक रेढो भमे
…किस्मतना कायदा…
कवि मेकरण कहे जुवो जुनानो इतिहास जो
चारणनो सरापेल,मांडळीक रेढो भमे
…किस्मतना कायदा…
रचना — चारण कवि मेकरणभाइ गढवी
टाइपिंग — राम बी. गढवी
नविनाळ-कच्छ
फोन नं.. 7383523606
आ रचना चारण-चरजावली नामनी बुकमांथी टाइप करेल छे..भुलचुक सुधारीने वांचवी