राजपुताणी हिरल मां नी चारण अने राजपुतो ने संबोधन करती रचना…..
हे बाळ हवे जागो चारण ना संतान, हे बाळ हवे जागो क्षत्री ना संतान….
हे बाळ हवे जागो शक्ति ना संतान, हे बाळ हवे जागो सतियुं ना संतान….
उगीने आथमियो आ सतयुग नो सुरज, इ कळीयुग ना भुंढा एँधाण…
हवे जागो संतानो आ निंदर त्यागो, तो उगे सतयुग नो ए भांण…..
हे बाळ हवे जागो……
साथक शूरविर ना शक्ति ना उपासक, इ चारण ना जागो संतान…
जागो दिल ना दिलावर दानेश्वर टेकीला, तमे क्षत्रीना सुरा संतान…
हे बाळ हवे जागो……
होंशे जे कुळ मां जनमति जोगमाया, इ आयुंना जागो संतान…
जागो सतिंयु ना खाळे खेलीने धावेला, तमे क्षत्रीना सुरीला संतान….
हे बाळ हवे जागो……
त्रागा धरणाने चाचरना चळेला, इ धर्मीला चारण ना संतान…
जागो गौ ब्राह्मण नारी नी रक्षाना रसिया, क्षत्रीना सुरीला संतान…
हे बाळ हवे जागो…….
जेणे धाबळीये ढांकी अटकाव्यो सुरज, इ आवड ना जागो संतान…
जागो सतिये पारणीये पोढाळ्या परमेश्वर, इ अनसुया ना सुरा संतान…
हे बाळ हवे जागो…….
असुर ने उथापी हेमाळे रालेली, इ नागल ना जागो संतान…
जागो शियळ ने काजे अग्निमा होमायेली, राणक ना सुरा संतान…
हे बाळ हवे जागो…….
अधर्म अनिती अन्यायो अटकाव्या, इ करणी ना जागो संतान…
जागो वगडे विचरेली अग्निमा परखायेली, सीताना सुरीला संतान…
हे बाळ हवे जागो…….
अकबर ना दरबारे कडवा कहेनारा, इ दुर्शाजी ना जागो संतान…
जागो भोमका ने काजे रण-वगडे रखनारा, राणा ना सुरा संतान…
हे बाळ हवे जागो……
सांयाजी झुला ने इशरा परमेश्वरा, ने मावल ना जागो संतान…
जागो डुंगर नो ऊँदर थइ दुश्मन ने डराव्या, इ शीवाजी ना सुरा संतान…
हे बाळ हवे जागो……..
डायरा नी घेली पुस्तक मां मुंजायेली, इ सरश्वती ना जागो संतान…
जागो सिंदुर मां ढांकेली वातुं संभळावे, इ पाळीयाना सुरा संतान…
हे बाळ हवे जागो…….
पिल्यो कटोरो चारणवट अमलथी,भरेलो चारण ना संतान…
जागो क्षत्रीवट घाटो अमल ने गटगटावो, तमे क्षत्री ना सुरीला संतान….
हे बाळ हवे जागो……..
सतबाइ आपे सतयुग नो संदेशो, सांभळजो देवोना संतान…
जागो “हीरल” ना होंकारे उठो पडकारे, पृथुना पनोता संतान…
हे बाळ हवे जागो…….
रचना=हीरल मां राजपुत
टाइपिंग=राम बी गढवी
नविनाळ=कच्छ
फोन.7383523606