आज तीस मार्च राजस्थानी दिवस मोके पर मायड़ भाषा मान्यता तेज करनै कि मुहिम का आहवान करता मधुकर काव्य निजर ।
राजस्थानी दिवस री,
तारिक आयी तीस।
मायड़ भाषा मधुकरा,
वरतां विसवा वीस।
मान्यता री बात उठे मायड़ ओ, दिवस आज लो आयो है।
रजवाड़ी रिझालू रंग भर, भाषा रो रुतबो भायो है।
बरसाती मोसम बोटां रो, बख लागे अब तो बात वरे।
रजवट भाषा नै राखणियां, आवो मिल साथ आवाज करे।
होवै जो मायड़ हेजालू, रयत पर वाही राज करे।
अनुसूची में जोड़ै इणनै तो, बोट उणी नै देणो है।
राजस्थानी सगली रयत, कवि साहित्यकारां को केणो है।
झूंठां झांसां में मत आजो, सच आशवासन सें काज सरे।
रजवट भाषा नै ……….
हे वोही बात अकड़ हम तो, वा बांह पकड़ मत वेतां की।
जिद ही पकड़ां हम मिल झुल के, जद नीद उडै उण नेतां की।
पलो पकड़ां जिण पार्टी रो, लख मायड़ भल वरताव लरे।
रजवट भाषा ने ……….
बोटां रे अवसर जो बकता, रखता कुण भाषा पर निजरा।
धोला बड़बोला जो धुखता, मत मांनो उण मुगता मुजरा।
ठग नेतां अकल ठिकांणै ला, भेला हो जोय हूकार भरे।
रजवट भाषा ने ……..
चोखो आ मोको चुक्या तो, पछै पांच वर्ष पछताएगें।
चेते जो मधुकर बन्धू तो, मायड़ का कर्ज चुकाएगें।
उनको ही लिजै अपणा कर, धिजे जो नेता शपथ धरे।
रजवट भाषा ने राखणियां, आवो मिल साथ आवाज करे।
होवै जो मायड़ हेजालू, रयत पर वाही राज करे ।
~भंवरदान (कवि-मधुकर माडवा)