|| सूर्यवंदना ||
|| कर्ता : मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||
|| छप्पय ||
(21-3-2019)
रांदल नाथ रमाड,आज फागणियो अमने
रंग बिरंग रमाड,तपन रंग छाटु तमने
कश्यप आभ कमाड,तिलक कर काढ़ो तम ने
धन्य तमारी धाड़,गगन धर जाम्या गमने
क्रोध विसारी काश्यपा,भुवन रमाडे भाण,
पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,रंग राख्यो मित राण
(22-3-2019)
कश्यप कवि किरतार,पुरण रचना तुज पथ में,
कश्यप कवि किरतार,हवा कलमें जल हथ में,
कश्यप कवि किरतार,श्वास नस जीवन सथ में,
कश्यप कवि किरतार,अवल्ल आभे नय अथ में,
कथु महा कवि काश्यपा,आ रचना अपरमपार,
पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,कर वंदे मित किरतार
(23-3-2019)
आभ निलांबर आथ,दुस्ट वा फरे गगन दर,
दर विलाप भय दूर,नूर सह नयन रमण नर,
नर विलास नवछंद,कवि मित आप कीरत कर,
कर उलास मन कोड,होड बस आप धरण हर
नव नाथ निलांबर नर नमे,तुव नाम सकळ जग तार
पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,दख दरण आप दीदार
(24-3-2019)
विश्व आत्म विखियात,एक नई सात अजायब,
विश्व आत्म विखियात,सात पर एक ज सायब,
विश्व आत्म विखियात,नवे ग्रह पर सुर नायब,
विश्व आत्म विखियात,परम पद वंदन पायब
कळाय तिहारी किरण कथे,उर आतम बन अज वास
पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अरिदल मित आप उजास
(25-3-2019)
वण बोल्यो विश्वास,आस तुज पर सुर अविचल,
वण बोल्यो विश्वास,प्राग परमारथ पलपल
वण बोल्यो विश्वास,तजावे आप अहम तल
वण बोल्यो विश्वास,बिरद तम जाप महा बल
गण उच्च अमो दल पर गुणित,वण आरद मन विन्यास
पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित करत वंद मितभास
—मितेशदान(सिंहढाय्च)—
कवि मित