जय आवड़ अवतार इन्द्रेश मात की जय
!! दोहा!!
इन्द्र सिवरूँं आपने, ऊठ प्रभाते पौर !
दर्शण दे प्रसन्न करो, कर माँ भाव विभौर !!
अम्बा करूँ अाराधना, अटल राखत विश्वास!
सगळा कारज सारजै, आप तणी माँ आश !!
आखर साँपजै इन्द्रा, करनल बण कविराज !
सरस भाव सूलेखनी, अावड़ बगसो आज !!
!! छन्द नाराच !!
(रिछपाल सिंह बारहठ कृत)
करूं प्रणाम श्रेय धाम,
खूड़्द ग्राम आसणी !
इन्द्रेश रूप आवडा़ ,
दरिद्र दुख: नासणी !!
रिजै सहाय मंहमाय,
सुता सागरेश री !
नमूं हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी!!(1)
फबैह साफो फुटरो,
कनंक लूँग कान में !
सजैह तप तेज मूख
ज्यूं चम्मंक भान में !!
इन्द्रेश सम ओपती
दिसे न देवि दूसरी !
नमू हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !!(2)
कनंक लूँग कान में !
सजैह तप तेज मूख
ज्यूं चम्मंक भान में !!
इन्द्रेश सम ओपती
दिसे न देवि दूसरी !
नमू हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !!(2)
सजैह सिंघ साथ में
त्रिशूळ तेग हाथ में !
भैरु भ्रात संग आत,
सात भाण साथ में,
रमंत रंम झौळ ,
नंवरात मं राजेश्वरी !!
नमू हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !! (3)
त्रिशूळ तेग हाथ में !
भैरु भ्रात संग आत,
सात भाण साथ में,
रमंत रंम झौळ ,
नंवरात मं राजेश्वरी !!
नमू हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !! (3)
थप्यो है थान इंन्द्राण,
मात किंनियाण को!
करंत जोत भाव प्रोत,
धूप धिनिंयाण को !!
जपंत जाप जुगती,
प्रभाते परमेसरी !!
नमू हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !! (4)
मात किंनियाण को!
करंत जोत भाव प्रोत,
धूप धिनिंयाण को !!
जपंत जाप जुगती,
प्रभाते परमेसरी !!
नमू हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !! (4)
पाणि तो प्राण हारिया
सुत्तन तो सुमेर का !
सुणंत साद आव अंब,
कवि अंबा दान का !
तुरंत मात तारियो,
जिवायो जगदिश्वरी !!
नमूँ हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !! (5)
सुत्तन तो सुमेर का !
सुणंत साद आव अंब,
कवि अंबा दान का !
तुरंत मात तारियो,
जिवायो जगदिश्वरी !!
नमूँ हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !! (5)
अट्टल है अधार मात,
सार काज दास रा !
भणंत भाव रीछपाल ,
इंद्र अंब खास रा !
दिजै सुम्मति माँ सग्गति,
माँ कदे न बीसरी !!
नमूँ हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !!(6)
सार काज दास रा !
भणंत भाव रीछपाल ,
इंद्र अंब खास रा !
दिजै सुम्मति माँ सग्गति,
माँ कदे न बीसरी !!
नमूँ हमेश माँ इन्द्रेश,
आद रूप ईश्वरी !!(6)
छप्पय
नमो मात इन्द्रेश,अम्बा आवड़ अवतारी !
नमो मात इन्द्रेश, सजे माँ सिंघ सवारी!
नमो मात इन्द्रेश,अम्बा आवड़ अवतारी !
नमो मात इन्द्रेश, सजे माँ सिंघ सवारी!
नमो मात इन्द्रेश , हाण दुख हरणे वाळी!
नमो मात इन्द्रेश ,सुमंगल करणे वाळी!
सदां सहाय रहिजै सगत, आजै भगत उबारणी!
कर जोड़ बारठ रिछू कहे,चाड सुणीजै चारणी !!
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रिछपाल सिंह बारहठ “रजवाडी़” कृत
(चारणवासी चूरू)
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रिछपाल सिंह बारहठ “रजवाडी़” कृत
(चारणवासी चूरू)