प्रिय सज्जनों… आज महाशिवरात्रि का पर्व है…हम देवों के महादेव भगवान शिव की आराधना विशेष तौर इस पावन रात्रि को रात्रि जागरण कर भोलेनाथ नाथ का अभिषेक कर महामृत्युंजय मंत्रादि जप करते हैं
सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त हो सुखमय जीवन की और बढते हैं।ऐसा कहा गया है व शास्त्रों से प्रमाण भी मिलते हैं कि शिवोपासना अपने आप मे अचूक फलदायी एवं सिद्ध मानी जाती है।
शिव शब्द का अर्थ ही कल्याणकारी है । भगवान शिव अजन्मा, अमर,अजर,अविनाशी, अन्तरयामी,आदि अनादि, अलख
निरंजन सब दुखभंजन हैं वे आशूतोष हैं जल्द ही प्रसन्न होकर वर प्रदान करते हैं तो हम कयों न ऐसे अविनाशी की ही शरण ग्रहण करें जो सर्व शक्तिमान हैं ।
सत्यम् शिवम् सुंदरम् 👌
इस प्रसंग पर यह मुझ ” आहत ”
की अर्जी…कलरिपु के कर धर
वाहिर कर की गुहार की है..आशा है भोलेनाथ मेरे भारत पे हो रहे शत्रु प्रहारों को निष्फल कर सभी दुसाहसों को ध्वंस कर देंगे ।।👇
👉 दो रचनाऐं पेश हैं 👌👇👇
🌹महाशिवरात्रि मंगलाचरण🌹
वीणावादिनी वरदायिनी मैया ,
नतमस्तक तोहे नमन ।
सिद्धिदाता तोर शरणागतम् ,
गौरीपुत्र गजबदन ।।
महाकाली, उमा,महेश्वरी,
सती, साधवी,सिंघवाहिनीम् ।
हे ! कालरिपू कैलाशपति,
कर जोड़ शम्भू कोटि वंदन ।।
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👉 आहत की अर्जी 👈
बम बम भोले शिव लहरी
मृत्युलोक पीड़ा भ्ई गहरी
तेरे साँप बिछु से तेरा मानव ज़हरी
कपटी कुसंगी कातिल कहरी
ढोंगी द्वैष वेष पेहरी…..
अब तो जग जा शिव लहरी
तेरे उदर् निंद्रा कयों ठहरी…. ?
बम बम भोले शिव लहरी ।।
1. देख नेता की हरकत हरदम
झूठ लबाड़ कबाड़ दमखम
कुर्सी हाथ लगे बस कैसे
तकता युं कर तिकड़म वैसे
लोभ लालच दे बिखेर पैसे
पहुंच सदन में जाता ऐसे
करता करतब कैसे ! कैसे !
सत्ता विरासत में मिली हो जैसे
कहाँ फरियाद करें हम वोटर ?
धूल दिल्ली तक है बिखरी।
बम.. बम…भोले…शिव लहरी ।।
2. पिटता नौकर, नारी रड़ती
साख देश की गरिमा घटती
देशद्रोह के नारे लगते
पत्थर प्रहरी शीष बरसते
गोलमाल के गोर्ख धंधे
पलते कुकर्म नित के गंदे
भला! फर्ज निभाए कैसे कोई
हर दर खड़े हजार विद्रोही
मानवता घुट घुट मरती…..
धरती दहल रही हमरी…. .।।
बम…बम…भोले… शिवलहरी।।
3. सेना पे भी सियासत करते
दोगले देशप्रेम का दम हैं भरते
खंडित एकता, रंग ढोंग रचते
फंस चुंगुल क्ई बैचारे मरते
हाथ शत्रु से मिला बेगैरत
होती नहीं इन्हें कोई हैरत
देशप्रेम नहीं इनकी फितरत
बस कुर्सी हड़पें… इकही हसरत
मुक्त कैसे हों हम महादेव प्रभु !
विष वेल विपुल है पसरी…..।।
बम…बम…भोले… शिवलहरी ।।
4.गोवध अत्याचार चरम है,
बेलज्ज बलात्कारी बेशर्म है
निर्मम् हत्या लहु बिखरा है
सन्नाटा चहुंओर पसरा है
लूट खसोट लडाई डकैती
बम भड़ाके,आग सुलगती
नमकहरामी, फूट भडकती,
शत्रु तांडव, गाज कड़कती ,
किसे चुनें, कहो आप कृपालु….
तुच्छबुद्धि हम….जन पहरी….।।
बम…बम..बम..भोले.. शिवलहरी
5. करे काम कोई देश म़े अच्छा,
विरोध भड़कता हस्सा मस्सा
धमाल,बंबाल,धक्का मुक्की
भंग सदन गरीमा, बहस बैतुक्की
जनता क्षुब्ध जनप्रतिनिधि से,
होहल्ला जब तब इस विद्धि से,
कौन उदार सुधार करेगा
देश हमारा विवश दिखेगा ।
समाधान कर देव सुगम्य,
तज समाधि.. धर रूप महरी….।।
बम…बम…भोले…शिवलहरी ।।
6. मेरे वीर जवान उड़े अधराति
यमराज ग्रहे जीव जिस भान्ति,
कर ध्वंस शत्रु के सह आतंक डेरे
लगे शवों के, ढेर घन्नेरे
नापाक.. पाक… सहम.. उठा ,
कर लिज्जत मारे दिये सबूत मिटा
घर घर जश्न मने मेरे भारत ,
सुवर्ण अक्षरों लिख दी इबारत
तब भी शंका सेना पे करते..
बातें बैतुक्क भिन्न भिन्न री…..
बम…बम…भोले… शिवलहरी।।
7. अब भोले त्रिशूल उठा ,
कूड़ कपट छल द्वैष भगा,
भय आतंक मृत्यु अकाल मिटा,
रोग दरिद्र रिपु बांध जट्टा ,
देशभक्ति दीन प्रेम जगा ,
डूबत नैया पार लगा ,
कैलाश उतर आ,गले लगा
बृह्मा, विश्नु ,ले साथ सखा ,
” आहत ” की यह अदल अर्जी…
कर धर कामरिपु झट्टरी ….
बम…बम….भोले… शिवलहरी
तेरे उदर निंद्रा क्यों ठहरी. ..
अब तो जग जा जग पहरी….
बम…बम…भोले… शिवलहरी ।।
आशूदान “आहत ” जयपुर राज.
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