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Month: March 2019

चारणकवि श्री दिलजीतदान बाटी द्वारा लखेल चरज = आइ करुं छु अरजी

चारणकवि श्री दिलजीतदान बाटी द्वारा लखेल चरज = आइ करुं छु अरजी आइ करुं छुं अरजी मारो साद कां सुणे नइं कया अपराधे करणी अमथी मुख मरोडी गइ होय हजारो…

सोनबाइ मां नी इच्छा अने कागबापु ना शब्दो द्वारा चारणोने शीखामण

सोनबाइ मां नी इच्छा अने कागबापु ना शब्दो द्वारा चारणोने शीखामण छोरुने मात समजावे आवा कोइ चारणो आवे छोरुने मात समजावे, आवा कोइ चारणो आवे…(टेक) धीर-गंभीरा,धारणवंता,पापमां जेना न पाव; (२)…

लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी

लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी चारणकुळनी तुं तारणहार..मातवडी मढडावाळी ए…तोळा नाम तणो परताप….दु:खनो डुंगर टळ्यो ज्यारे ज्यारे में दिधो तोळे साद…होंकारो तोळो सामो मळ्यो लीली वाडीनी राखणहार….…

चारणकवि श्री दादबापु द्वारा रचित आवड मां नी चरज =आवड तुं उपरे आवे

चारणकवि श्री दादबापु द्वारा रचित आवड मां नी चरज =आवड तुं उपरे आवे आवड तुं उपरे आवे रे, बाइ तुने बाळ बोलावे…२ चडी कां तो नींदना झोले, बोलावी बोलना बोले…

ब्रह्मलीन पुज्य नारायण बापु नी अमर रचना- मढडावाळी माता ने वंदन अमारा

ब्रह्मलीन पुज्य नारायण बापु नी अमर रचना मढडावाळी माता ने वंदन अमारा नित उठी प्रभाते करू दर्शन तमारा कठणकळी काळ मां छे आशरो तमारो,बाळक जाणी मने पार उतारो अज्ञान रूपी…

लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी

लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी चारणकुळनी तुं तारणहार..मातवडी मढडावाळी ए…तोळा नाम तणो परताप….दु:खनो डुंगर टळ्यो ज्यारे ज्यारे में दिधो तोळे साद…होंकारो तोळो सामो मळ्यो लीली वाडीनी राखणहार….…

राजपुताणी हिरल मां नी चारण अने राजपुतो ने संबोधन करती रचना…..

राजपुताणी हिरल मां नी चारण अने राजपुतो ने संबोधन करती रचना….. हे बाळ हवे जागो चारण ना संतान, हे बाळ हवे जागो क्षत्री ना संतान…. हे बाळ हवे जागो शक्ति…

कविवर चंद बिरदाइ रचित ज्वाळामुखी देवि नी स्तुती

कविवर चंद बिरदाइ रचित ज्वाळामुखी देवि नी स्तुती चिंता विघन विनाशनी,कमलासनी शकत विस हथी हंसवाहनी,माता देहु सुमत्त || छंद=भुजंगी || नमो अादि अन्नादि,तुंही भवानी तुंही जोगमाया,तुंही बाकबानी तुंही धर्नी आकाश…

अजा उमाजी अंबाजी-रचना = चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा लींबडी राजकवि

अजा उमाजी अंबाजी-रचना = चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा लींबडी राजकवि || दुहो || प्रसन्न प्रसन्न प्रसनाननी, हम पर रहो सदाय प्रणतपाल परमेश्वरी, जय अंबा जगराय ||छंद-त्रिभंगी|| जय जगरायाजी, महामायाजी,…

चारणकवि श्री दिलजीतदान बाटी द्वारा लखेल चरज = आइ करुं छु अरजी

चारणकवि श्री दिलजीतदान बाटी द्वारा लखेल चरज = आइ करुं छु अरजी आइ करुं छुं अरजी मारो साद कां सुणे नइं कया अपराधे करणी अमथी मुख मरोडी गइ होय हजारो…