श्री कल्लू माता का जन्म कोडा गांव (जैसलमेर) में रतनू कुल में हुआ था। इनके पिता जी का नाम गज दान रतनू था। कल्लू माता जी का विवाह बालेवा(बाड़मेर) गांव के बारहट शाखा के चारण नारम दान से हुआ था। जब बालेवा गांव की गायों को देदड़ियार गांव के कुएं पर खावड़िया जाति के राजपूतों ने जब पानी पीने से रोका एवं बार-बार प्रताड़ित किया गया तथा उनके द्वारा असभ्य भाषा का उपयोग किया जिससे माता जी ने क्रोधित होकर अपने शरीर में सत प्रकट कर जमर किया। तथा उनको श्राप दिया कि जिसने भी मेरी गायों को पानी पीने से रोका है उसके पूरे वंश का खात्मा होगा और वही हुआ जो माता जी ने कहा था। मातेश्वरी ने वि. सं.1910 में माघ शुक्ल चौदस को जमर किया था।