सैनिकों की शहादत पर दो पंक्तियाँ ।।
अब क्यों जिन्दा हे वो जिनको,
जीने का अधिकार नहीं।
घात लगाकर रिपु खड़ा है,
उदण्डी जिद पर अड़ा हे ।
शान्ति छोड़ो बुद्ध के बेटों,
अमन नहीं अब चमन बड़ा हे ।
चालीस सैनिक खोए हमने,
फिर भी पलट वार नहीं।
अब क्यों जिंदा है वो जिनको
जीने का अधिकार नहीं(1)
बार बार सब्र भी आखिर,
कमजोरी बन जाता है ।
शेर को अपनी मांद में तब,
गीदड़ आ धमकाता हे ।
विश्व शांति के पोषक हे ,
हम कोई गुनहगार नहीं ।
अब क्यों जिन्दा……….(2)
छप्पन इंच का हे सीना तो,
दुनिया को ये दिखला दो।
चालीस उन् शावकों के बदले,
चार हजार का बदला लो।
परिणाम देश मांगे पुख्ता,
बहाने बाजी इस बार नहीं
अब क्यों जिन्दा हे ……….(3)
सतयुग हो या कलयुग सब में,
सैकडों दैत्य संहारे हे।
लक्ष्मण रेखा जब जब लाँघी,
तब तब रावण मारे हे
समुद्र को भी डाका हे तो,
एल ओ सी क्यों पार नहीं ।
अब क्यों जिन्दा हे वो……(4)
शान्ति के इन रुक्षों को भी,
शौणित रूपी खाद चाहिए
एल ओ सी से नहीं चलेगा,
अब तो इस्लामाबाद चाहिए।
जैसे को तैसा नहीं किया,
तो ये मिटेगी रार नहीं।(5)
अब क्यों जिन्दा हे वो जिनको जीने का अधिकार नहीं।
कोटि कोटि नमन वीरों की शहादत को 💐💐🌹🌹
कृत– रासदान झीबा
सरदारपुरा, बीकानेर।
जय हिन्द