शहीदों की शहादत को सलाम
इतिहास के प्रत्येक कालखण्ड में चारण ने अपनी मातृभूमि की रक्षार्थ शहादत का वरण किया है। चाहे वे नरूजी बारहठ हों ,शंकर जी लाल़स हों, रामोजी सांदू हों या फिर अमर शहीद क्रांतिकारी कुँवर प्रतापसिंह बारहठ हों , प्रत्येक ने अपने अपने युग में राष्ट्र हित में अपने प्राणों का उत्सर्ग करके चारण समाज को गौरवान्वित किया है ।
इस कड़ी के शहीदों में राजस्थान के चारण वीरों में दो नाम उल्लेखनीय हैं-
शहीद जबरदान सा- चारण शहीद जब्बरदान चारण का जन्म 01 जुलाई 1931 को श्रीमती ओपा कुंवर की कोख से झूँठा गांव में हुआ था। आपके पिताजी का नाम पृथ्वीराज मेहडू है। शहीद जब्बरदान चारण ने भारतीय नौ सेना 11 फरवरी 1952 को जॉइन की एवं 9 दिसम्बर 1971 में आई. एन. एस. खुकरी में शहीद हो गए। इस समय आप की उम्र 40 वर्ष की थी। यह घटना 9 दिसम्बर 1971 की है, जिस समय भारत पाक का युद्ध चल रहा था। आई. एन. एस. खुकरी ऑफ कराची कॉस्टल तट पर गश्त कर रही थी। इनके साथ आई. एन. एस. कृपाण और आई. एन. एस. कुठार भी तैनात थे। 9 दिसम्बर 1971 को गुजरात के काठियावाड़ तट रेखा के समीप पाकिस्तानी पनडुब्बी को नष्ट करने हेतु बेहद ही विकट परिस्थतियों में युद्ध संलग्न भारतीय नौ सैना पौत खुकरी पर तीन टॉरपीड़ो दागे गये और देखते ही देखते पूरा जहाज जलमग्न हो गया।
शहीद जब्बरदान ने 1962 में भारत वं चीन 1965 के भारत पाक युद्ध में भाग लेने के लिए उन्हें रक्षा मेडल एवं संग्राम मेडल से अलंकृत किया गया। देश के प्रति समर्पण और अद्भुत साहस के लिए उन्हें ऑनर से भी नवाजा गया। पाली जिले के झूँठा गांव में 17 दिसम्बर 2006 को शहीद जब्बरदान की मूर्ति स्थापित कर स्मारक बनाया गया है। मूर्ति का अनावरण लक्ष्मीनारायण दवे (वन एवं पर्यावरण विभाग, राजस्थान सरकार) के कर कमलों द्वारा किया गया।
जिसमें मुख्य अतिथि “राम नारायण डूडी” ( राजस्व एवं सैनिक कल्याण मंत्री राजस्थान), अध्यक्षता श्री औंकारसिंह लखावत (अध्यक्ष धरोहर संरक्षण व प्रोन्नति प्राधिकरण राजस्थान), विशिष्ट अतिथि पद्म श्री सूर्यदेवसिंह बारहठ एवं श्री सी. डी. देवल (विधायक रायपुर) थे। शहीद जब्बरदान के सबसे छोटे पुत्र शम्भुदान पिता से प्रेरित होकर 9 जनवरी 1984 भारतीय नौ सेना जॉइन किया व 18 वर्ष की देश सेवा के बाद चीफ पेटी ऑफिस से रिटायर्ड हुए। शहीद के पौत्र श्री राहुल चारण पुत्र शम्भूदान चारण भी 2006 में भारतीय नौ सेना में कमीशन ऑफिसर बने एवं वर्तमान में लेफ्टिनेट कमांडर पद पर कार्यरत हैं।
शत्रू राष्ट्र के साथ युद्ध में एक और वीर चारण योद्धा
श्री राजवीरसिंहजी खिडि़या ने भी मादरे वतन पर अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी थी । चारण सपूत वीर राजवीरसिंह शहीद माँ भारती के लाल लड़ते लड़ते शहिद हुवे थे। वीर शहिद राजवीरसिंह चारण को कोटी कोटी वंदन। पिता का नाम – प्रभुदानजी खिड़िया, जन्म दिनाक- 9 दिसम्बर, शहीद दिनाक- 21 जून, गाँव – इन्द्रपुरा, तहसील – मकराणा, जिला – नागोर (राजस्थान) ।
इन दोनों योद्धाओं को हम शत शत नमन करते हैं ।