कीरत चावी कच्छ री(१) –संग्राम सिंह सोढा कृत
डिंगळ काव्य में पैलीपोत सुधी पाठकां सारू कच्छ री ऐतिहासिक,सांस्कृतिक, भौगोलिक,प्राकृतिक छटा रौ लूंठो वरणाव अर सांगौपांग पद्यबद्ध जाणकारी देवण री कीं खेचल कीनी है, वांचियां ठाह लागसी !
कीरत जोगौ कच्छड़ो,अवल सहर अंजार।
मोमाई भल मावड़ी,सब री लेवै सार।।1।।
भुज तो मुख्यालय भलौ,महल माळिया जोर।
भाखर भुजियौ भाग रौ,अंजस उठतो और।।2।।
मही मुंदरो मांडवी,चावी च्यारूं मेर।
नामी नखत्राणौ वळै,फबै तालुका फेर।।3।।
अबड़ासो लखपत इळा,वीरां व्हाली भोम।
नळियौ सहर निकैवळो,करमी कच्छी कोम।।4।।
गांधीधाम गजब्ब घण,खिती कंडला खास।
चलै कारखाना कई,व्हालो करण विकास।।5।।
भच्चाऊ भाभेर भल,वागड़ इदकी वास।
रीत रसम रापर रसा,आडेसर घण आस।।6।।
काळा डूंगर कच्छ रा,रसा सवाया रूप।
घिर्यौ दरख्तां देसड़ो,धर नह लागै धूप।।7।।
जस जाड़ेजां जोड़िया,भला ज बण नै भूप।
पाळ रखी प्रण पाघड़ी,अखियातां ज अनूप।।8।।
कच्छ हुवा कविवर कई,सुरसत राखण शान।
संत उपनिया सैंकड़ूं,भजण नाम भगवान।।9।।
अजयपाल अंजार रौ,इदकी जिण री आण।
कीरत माणी कच्छ में,चावौ कुळ चहुआण।।10।।
वीदग मावल बरसड़ो,इळ चावौ अंजार।
सखा ज लाखै सारखा,धर व्हालो दातार।।11।।
हरि व्हालो मेकण हुवौ,खिती रचावण ख्यात।
कहै कबीरो कच्छ रौ,अवनी पर अखियात।।12।।
पर सेवा कर प्रेम सूं,राखी इदकी रीत।
हरि नै भजियौ हेत सूं,पाळ पुराणी प्रीत।13।।
कच्छी मही महक्कियौ,करण सांतरौ काम।
भूखा,प्यासा पाळिया,पुन परमारथ नाम।14।।
मतै मोतियौ लालियौ,साथी रहिया संग।
पथ परमारथ पाळियौ,धिन धिन वसुधा ध्रंग।15।।
कीरत माणी कच्छड़ै,कर नै कै उपकार।
ख्यात उजाळी खोंभड़ी,व्हालौ रख वैवार।।16।।
मेकण दादा ध्रंग में,आप व्हिया ब्रमलीन।
अराधना कर अलख री,पद पायौ परवीन।।17।।
नेत्रा नखत्राणौ तणौ,धिन सचियाई धाम।
दसमाता दीपै अठै,कितरां सारण काम।।8।।
गरबा खेलै गजब रा,देवी हंदे धाम ।
रासूड़ा वै राग में,सुण नै रीझै स्याम।।19।।
भल नेपाळू वाड़ियां,पाकै खरौ कपास।
करै किलोळां कोयलां,बगती समदां वास।।20।।
आंब खजूरां ऊपजै,जेतुंग गुंदा जोर।
नारियेळ नामी वळै,मुलक सदा सिरमोर।21।।
खेड़ोई भल खारकां,व्हाला करै वखाण।
अंजसै मन अंजार घण,खरी खजूरां खाण।।22।।
रही रखालां राज री,चरै ज धोळा ढोर।
भाखरिया भूरा घणा,जग नै लागै जोर।।23
हंसां जैड़ा हंजड़ा,सारस समो सरूप।
जानी रा’ लाखै तणा,इळ कच्छड़े अनूप।।24।।
रूड़ौ रण है कच्छ रौ,सट्यौ समुदर संग।
घुड़खर दौड़े गजब रा,पाळण होड पमंग।।25।।
कीरत चावी कच्छ री (२) –संग्राम सिंह सोढा सचियापुरा
परम धाम आशापुरा,धरणी चावौ धाम।
कच्छी धावै कोड सूं,नवखंड गूंजै नाम।।26।।
मढ माता रो मोवणौ,जठै बसै जगदम्ब।
धरणी व्हालो देवरौ,ठावौ कीरत थम्ब।।27।।
रास रवेची रव रमै,धरणी राखण ध्यान।
दुनिया व्हालो देवरौ,विध विध करूं वखान।।28।।
सरवर देवी सांतरौ,नामी भरियौ नीर।
मोर् या अर कुरजां रमै,धिन उण री तकदीर।29।।
जख दादा जबरौ घणौ,इच्छा पूरै आप।
सदा सिमरियां सिद्धमन,सहज हरै संताप।।30।।
धज डूंगर धीणोधरा,नांमी सिधिया नाथ।
धोरम साचौ दीपियौ,हरि रा रहिया हाथ।।31।।
दीपै काळै डूंगरै,दतात्रय रो धाम।
खैर मनावै खावड़ा,नित लेवै गुरु नाम।।32।।
अलिया जी इथ ऊपनौ,भगतां राखण भाव।
पीर नाम पायौ जिकां ,चित में धर नै चाव।।33।।
धज धोळावीरा धरा,सिंधु तणा अवशेष।
सब सूं जूनी सभ्यता,वरणे जस अविशेष।।34।।
चावी भूवड़ चावड़ां,इळ अंजारां पास।
वंस पीयु इण पाकियौ,वडकां बांटण वास।।35।।
चकासरा सीणाय नै,जूना सरवर जाण।
होथल पदमण हेत सूं,ओढे राखी आण।।36।।
कीरत काराणी कथी,निज धर राखण नाम।
कवि राघव केशव सदा,कीधा साहित काम।37।।
कवि काराणी कच्छ रौ,जस मंडायौ जोर।
मेघाणी भल मुलक रौ,इसड़ो हुवौ न और।।38।।
राठौड़ां भल राम सिंह,लिखिया लेख ललाम।
गढवी शंभुदान सा,कीधा वडकां काम।।39।।
सरवर तीरथ सोवणा,नारायण सर नाम।
महिमा गूंजै कच्छ में,धज कोटेसर धाम।।40।।
सर नाराण निकेवळो,महि मीठो महाराण।
सिरै सरोवर हिंद रौ,पुन व्हालो परियाण।।41।।
जाहर जेसल री जमी ,ऐ इदकी अंजार।
काठी तोरल कारणै,भड़ पूगौ भव पार।।42।।
जाड़ेजै जेसल जठै,करियौ इदको काम।
तोरल काठी तारियौ,घट में रख घनश्याम।।43।।
तोरल नै जेसल तणी,भल समाधि अंजार।
वळै बिराजै शीतला,पूजण आय अपार।।44।।
पावन धर मिरझापरा,धिन्न पिथोरा धाम।
मेळो मंडै मोवणौ,हरदम पूरै हाम।।45।।
झुरौ गाम देखो जबर,चावौ है चौफेर।
मंदिर पीथल मोवणो,मालक ! सोढां मेर।46।।
महाराव धिन देसला,नरां उजाळ्यौ नाम।
पद पायौ परमेसरा,कर नै सुकरत काम।।47।।
सहर आदिपुर सोवणो,सिंधियां हंदी शान।
सिंधोलॉजी सांतरी,मुलकां बढियौ मान।।48।।
कइयक डेमां कारणै,खरा ज पाकै खेत।
बरस्यां नद नाळा बहै,हाळ्यां हरसै हेत।।49।।
बन्नी व्हाली वाड़ियां,जद कद पाकै जोर।
जत जमिया संजोग सूं,बगिया रखै बतौर।।50।।
कीरत चावी कच्छ री(३) संग्राम सिंह सोढा सचियापुरा
‘मोड़ मनाई ‘मुलक में,पगला धरिया पेल।
संभाळी साडे सता,मिनखां राखण मेल।।51।।
हद चावो सांमी हुवौ,नांमी कंथड़नाथ।
कंथकोट कीरत कहै,साडे दीधौ साथ।।52।।
वागड़ धर बड़भाग सूं,पायौ संत प्रवीन।
मिली मांगुबा मावड़ी,अलख तणो आधीन।।53 ।।
रते रायधण रीझ नै,निज कुळ रख्यो नाम।
राधनपुर इण राज रौ,सुभ बणियौ सुखधाम।54।।
कीरत जोगा कच्छ रा,करिया नै कैकाण।
समीर वेगी सांढियां,व्हाला करै वखाण।।55।।
भलौ म्यूजियम कच्छ भुज,इदको नै अखियात।
भुजियौ डूंगर भाग सूं,सुण बातां हरसात।।56।।
सिरै तळाव हमीरसर,सो भुज हंदी शान।
मोटा गढ नै माळिया,भलपण हंदा भान।।57।।
शाला ब्रज भासा सिरै,गजब बांटियौ ग्यान।
साहित संवर्धन कियौ,सुरसत राखण शान।58।।
नेह निराली नारियां,बोलै व्हाला बोल।
सूरत ज्यां हद सोवणी,उजर असूल अमोल।59।।
मिनख कहाळा कच्छ रा,दिल सूं आवै दाय।
भागवरां नै भेटिया,जस न जिकां रौ जाय।।60।।
कांयौ नांमी कच्छ रौ,जाड़ेजां घण जाण।
जबरी सोभा जाण नै,कुळ कीधौ कल्याण।।61।।
झारौ अरियां नह झुक्यौ,वडकां राखण बात।
कट्टर कच्छियां कारणै,मुगलां खाई मात।।62।।
हालो महरामण हुवौ,भद्रेश्वर रो भाण।
हलार लड़वा हालियौ,पर हित देवण प्राण।।63।।
बाडा भल जैनावडो,भद्रेश्वर वाखाण।
जो तीरथ जैनां तणो,जबर करावै जाण।।64।।
शाह हुवौ जगड़ू जठै,धर चावौ दातार।
मूलचंद नै मेघजी,अवल कियौ उपकार।।65।।
धेनां हंदी धूंसड़ी,गूंजै गाँव गुवाड़।
भिरंडीयारी भैंसियां,दूधां जबर जुगाड़।।66।।
रायब सायब नुख सिरै,खांप वळै खंगार।
जैसल नै होथी जिकै,कौम तणा किरदार।।67।।
मोकलसी कांया मुदै,जाड़ेजां तण जात।
जाड़ा कच्छी जोर रा,आज घणा अखियात।68।।
देदो जबरौ दीपियौ,रखण रायधण रंग।
इण कुळ रणमल ऊपनौ,लड्यौ सत्रुवां संग।।69।।
साख जमावण सींधलां,खाटी धरा खडीर।
निरी निमायौ नीलवौ,धर व्हाला बण धीर।70।।
भला बोर नै बाजरा,पाकै खिती खडीर।
वरणन जोगा बाकरा,व्हाला सांभै वीर।।71।।
व्हाली लागै वाड़ियां,दुनिया व्हालो देस।
कण कण गूंजै कीरती,बातां रही विसेस।।72।।
वांकम व्हाला बांधवां,कियौ नरेड़ी नाम।
सुजस वमोटी बांटियौ,कर नै वाधां काम।।73।।
मम नानाणो कच्छ में,भागी गाम भलोट।
जाड़ेजा है जात रा,इळ अंजारां ओट।।74।।
नेह घणो ननिहाल सूं,भलो अमीणो भाग।
कण कण व्हालो कच्छ रौ,उर उपजै अनुराग।।75।।
कीरत चावी कच्छ री,(४) -संग्राम सिंह सोढा सचियापुरा,
महाराव मुदै विजय,परजा पाळी प्रीत।
कई भला कर कामड़ा,जग जस लीधौ जीत।।76।।
महल बणायौ मोवणौ,व्हालौ विजय विलास।
माण बढायौ मांडवी,वधी काठड़े वास।।77।।
देवां व्हाला देवरा,भगतां साचा भीर।
हिल मिल धोकै हेत सूं,सिध मत साचै सीर।।78।।
इदको हाजी ओलियौ,तिकौ कच्छ सिरताज।
आवाज दियां आवतो,लोकां राखण लाज।।79।।
भेळा रेवै भाव सूं,जस जग राखण जोर।
करै कौम हित कामड़ा,आण उजाळण और।।80।।
काळ कसुंभा नै कदै,नहीं धारतौ धीर।
भागी पावै भाग सूं,तिण लिख्यौ तकदीर।।81।।
कै दिन निरखां कच्छड़ो,गजब करण गुणगाण
दिल वारां उण देसड़े,जठै कदीमी जाण।।82।।
नेजा धारी नाथड़ौ ,फब्यो फरादी फेर।
धोकै खानायी धरा,खरी मनावण खैर।।83।।
कीरत कम नह काठड़े,पटौ मांडवी पास।
मधुड़ा माणै मोजड़ी,ईसर हंदी आस।।84।।
कच्छी माडू खेचली,रखै रखावै रंग।
मोबत माणै मोकळी,सादर सनेव संग।।85।।
सगती कुळ सुरताणियै,वानूं तणा वखाण।
मही उजाळी मोरधर,दुख मेटण दुनियाण।।86।।
वानूं चावी वीदगां,धरणी चावौ धाम।
महिमा आखै मोरझर,नवखँड गूंजै नाम।।87।।
ऊजळ दिल रा आदमी,भलपण लै भरपूर।
सैणां राखै सांतरी,मुलक जबर मशहूर।।88।।
जमी बराया जोर री,मही मुंदरे माण।
जाड़ेजां जस जोग सूं,अवल उजाळै आण।।89।।
पांणधरौ,प्रसिद्ध घण,कोलस तणिया खाण।
खपत पुरावै कच्छ री,जग जोगी है जाण।।90।।
इळ अंजारी ऊजळी,धिन मढड़ाई धाम।
आई सोनल ऊचरै,तिथ वार नै तमाम।।91।।
भा नै भाई भाव सूं,बड़ा कैय बतलाय।
राखै नेह निकैवळो,दूजां आवै दाय।।92।।
कारोबारी कच्छ रौ,खरौ कांडला खास।
बंदरगाह बड़ो वळै,पड़े कराची पास।।93।।
दरिया अरबी दखण में,नळिया धरा नजीक।
मुंदरो अनै मांडवी ,कन्ने गांव कईक।।94।।
कसबो नांमी कच्छ रौ,गिणियै गांधीधाम।
कॉलोनियां बणी कई,कितरा सारण काम।।95।।
खिलजी सूं रण खेत में,भिड़ियौ अबड़ा वीर।
पटक अरि धरा पोढियौ,रोसीलो रणधीर।।96।।
सूमरियां कै सिंध री,रखी शरण दै सीस।
अलाउद्दीन उलझावियौ,रह रह कर नै रीस।।97।।
इळ अबड़ासा ऊजळी,सिरै गाम सांधाण।
वळै जखौ नै बेटड़ा, वंदन जोग विझाण।।98।।
नळिया नै माखेल री,भल नेपाळू भौम।
चणा ऊपजै चौगणा,कसब कहाळी कौम।।99।।
मही मोरझर कच्छ में,गजब गिणीजै गाम।
चोज बढाओ चारणां,कर नै ऊजळ काम।।100।।
क्रमशः