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Month: October 2018

चारण कवेसरा री ह्रदयगत करूणा

!! चारण कवेसरा री ह्रदयगत करूणा !! मध्यकालीन भारतीय इतिहास मे चारण कवेसरां अखूट साहित सिरजियो ने ऐक ऐक सूं बढता रसां मे बरणाव बणावियो, वीरारस में भाला खांडा खऴकाविया…

चारण काव्य में राष्ट्र चेतना

राजस्थान रा चारण कवैसर प्रखर राष्ट्र वादी अर युगद्रष्टा रैया है अर राष्ट्रहित ने सर्वोपरी अर जीवण रो मूऴ जाणियो है, राजस्थान रा चारण कवैसरां, अंग्रेज-विरोधी क्रान्तिकारियां रै साथै दगा…

प्रसिध्द ऐतिहासिक चिरजा – रचयिताः- जागावत हिंगऴाजदान जी

!! प्रसिध्द ऐतिहासिक चिरजा !! !! रचयिताः- जागावत हिंगऴाजदान जी !! संदर्भः- बीकानेर के पाँचवे शासक राव जैतसी और मुगल बादशाह हुमायूं के छोटे भाई कांमरानके बीच हुये युध्द जिस…

शायर व कवि

!!शायर व कवि !! ऐक ही व्यक्ति के दो नाम जिसे सिध्द किया है माननीय जोगीदानजी कविया सेवापुरा वालों ने !! इन्हे काव्य-रचना के साथ ही मद्यपान का शौक भी…

कामाख्या मन्दिर – राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! कामाख्या मन्दिर !! ================== कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलो मीटर दूर कामाख्या मे है ! कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलाचल…

सवैया- राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

सवैया है सतसंग बङो जग में हरि, अंकित सिन्धु सिला उतराने ! पारस के परसे तन लोह दिपै, दुति हेम स्वरूप समाने ! गंग कहे मलयाचल बात छुए, तरू ईस…

नमो करन्नी सगत

!! नमो करन्नी सगत !! प्रातः सिमरणां माननीय हुकमीचंद जी खिङिया, गीत विधा रा दैदिपायमान अर ऊजऴा नक्षत्र जिणां री जोङ रो कवेसर चिराग लेयर जोयां ही नी मिऴै उणारी…

दुर्गा-स्तुति स्तौत्र – राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! दुर्गा-स्तुति स्तौत्र !! अयि गिरिननि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुते गिरिवर विंध्य शिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।  सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते। अयि गिरिननि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुते गिरिवर विंध्य शिरोधिनिवासिनि…

इंद्र बाईसा का शिखरणी छंद – हिंगऴाजदानजी कविया

आदरणीय कविया हिंगऴाजदानजी विरचित इंद्र बाईसा का यह छंद अपने आप में अनूठा व अवलोकनीय है जिसमें राजस्थानी में संस्कृतंम का सुमेल कर सृजित किया है। ।।छंद-शिखरणी।। ओऊँ तत्सत इच्छा…

गीत – गरज सेवगां तणी अब करनला घणी छै

!! गीत !! गरज सेवगां तणी अब करनला घणी छै, अरज तद पुणी छै मात आगै ! धजाऴी आपबिन अवर कुण धणी छै, स्रजीऴी सजो सब सगत सागै !!  !!1!!…