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Month: October 2018

छत्रपति शिवाजी और जोधपुर महाराजा जसवन्तसिंहजी – राजेंद्र कविया संतोषपुरा सीकर

ऐक समयमें हुया दोनूं वीर शिरोमणि एक बीजा रा शत्रु व्हैतां थकांई दोयां में ऐकसी समानता ही दोनूं आपरे समय रा टणकैल अर बङा वीर हा, शिवाजी आपरो राज ने…

सिध्द सन्त महात्मा ईसरदासजी – राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

अमरेली के बजाजी सरवैया के कुंवर करणजी सरवैया की सर्पदंश से हुई असामयिक मौत पर उनके घर से अर्थी उठाकर शमशान भूमि यात्रा पर जाते समय सामने से रास्ते में…

शहीद दलपतसिंह शेखावत-राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

जोधपुर रियासत रा देसूरी परगना रा देवली गांव रा शेखावत हरजीसिंह जी, महाराजा साब जसवंतसिंहजी अर सर प्रताप रा घणा मर्जींदान मिनख हा। आप आपरै जीवन रो घणो समय आं…

गीत जीवराजसिंह चौहान राखी रो, कुशऴजी रतनूं चौपासणी रो कह्यौ – राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! गीत !! जीवराजसिंह चौहान राखी रो !! कुशऴजी रतनूं चौपासणी रो कह्यौ !! ठिकाणा राखी महाराजा मानसिंह जी जोधपुर रो ननिहाल हो अर मामोसा श्यामसिंह जी राखी हा वांरा…

रामप्रतापजी कविया सेवापुरा – राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! रामप्रतापजी कविया सेवापुरा !! प्रसिध्द नाहरजी कविया के सुपुत्र श्रीराम प्रताप जी कविया हुए ! वे भगवद्भ भक्त और परम शाक्त थे, अपने जीवन में तीन बार उन्होनें श्री…

सागरदानजी कविया (आलावास) रा कह्या दोहा – राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! सागरदानजी कविया (आलावास) रा कह्या दोहा !!     !! आउवा ठाकुर खुशालसिंह रा !!         ईस्वी सन 1857 से पहले ही अंग्रेजो के सामने अति सक्रिय भूमिका…

मांडण कूंपा महिराजोत रो गीत

    !! मांडण कूंपा महिराजोत रो गीत !!       !! गीत !! मांगै दीकरी गढ गांम दियै महि, छत्रपत हठ्ठ नां छांडै ! पौह पतसाह गलां परधांने, मांडण कांन…

हर का भगत हरदासजी-राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! हर का भगत हरदासजी !! हर शिवजी रो ऐक दूजो नांव अर हर मोटा देव, ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देव जोङासूं जाणिजै, इंयां तो संसार में ऐक सूं ऐक…

हरिभक्त चारण कवि

हरिभक्त चारण कवि ! !! छप्पय !! कर्मानन्द अल्लू चौरा, चंड ईसर केसो ! दूदो जीवद नरौ, नारायण मांडण बेसो ! कोल्हरू माधौदास, बहुत जिन वाणी सोहन ! अचलदास चौमुखारू,…

चारणवास वाऴो चैत – राजेंद्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

चारणवास वाऴो चैत !! ऐकर सियाऴैमें आधे माघ मास में बिरखा बूठी, अर बिरखाई घणी लांबी भांय हुई मानखै आप आपरै सपना रा जाऴा बणा वणा गुंथणा शुरु करिया ।…